यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 30-05-2022
केंद्र सरकार के आठ वर्ष पूरे होने पर 31 मई को हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में केंद्र सरकार का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इसकी तैयारी में हिमाचल सरकार का पूरा अमला करीब 15 दिनों से लगा हुआ। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की 11वीं किस्त जारी करेंगे , वहीं कई और सरकारी योजनाओं की भी शुरुआत करेंगे। इस दौरान प्रधानमंत्री भाजपा का चुनावी वायदा भी निभा सकते है।
पार्टी सूत्र बताते हैं कि 31 मई को प्रधानमंत्री जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र की 157 पंचायतों के करीब सवा तीन लाख से अधिक हाटी समुदाय को जनजातीय क्षेत्र घोषित कर तोहफा दे सकते हैं। भाजपा सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार ने सारी तैयारियां पूरी कर हाटी समुदाय की इस मांग को मुकम्मल करने का मन बना रखा है। गौर हो कि जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र की 157 पंचायतों के करीब सवा तीन लाख की आबादी सात दशकों से अपने वजूद की जंग लड़ रही है।
जिला सिरमौर का ही हिस्सा रहे उत्तराखंड के बाबर जौनसार को वर्ष 1967 में जनजातीय क्षेत्र का दर्जा मिल गया था , जबकि गिरिपार के कबीले के लोग आज भी अपने वजूद की जंग लड़ रहे हैं। गौर हो कि भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष और वर्तमान में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में नाहन के चौगान मैदान में ऐलान किया था कि यदि केंद्र में भाजपा की सरकार बनती है तो जिला सिरमौर के गिरिपार को जनजातीय क्षेत्र का दर्जा देंगे।
उसके उपरांत वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों और वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में गिरी पार को जनजातीय क्षेत्र घोषित करने का जिक्र किया गया था। हाल ही में रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (आरजीआई) द्वारा गिरिपार की 157 पंचायतों की जनजातीय क्षेत्र की संस्तुति कर फाइल जनजातीय मंत्रालय को भेजी है।
गौर हो कि जनजातीय क्षेत्र के मुद्दे को लेकर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर , भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप , ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी , खाद्य आपूर्ति निगम के उपाध्यक्ष बलदेव तोमर के नेतृत्व में केंद्रीय हाटी समिति का प्रतिनिधिमंडल देश के गृह मंत्री अमित शाह , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , जनजातीय मंत्री , भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा , सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर और अन्य आला नेताओं से मिल चुका है। केंद्रीय नेतृत्व से आश्वासन मिला है कि शीघ्र ही जिला सिरमौर की गिरीपार क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र घोषित किया जाएगा।
गौर हो कि यदि जिला सिरमौर के गिरिपार को जनजातीय क्षेत्र का दर्जा मिलता है तो इसका प्रभाव हिमाचल प्रदेश के करीब 11 विधानसभा सीटों पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। जबकि जिला सिरमौर की पांचों विधानसभा सीटें प्रभावित होती है। अब देखना यह है कि क्या प्रधानमंत्री 31 मई को जिला सिरमौर के सवा तीन लाख से अधिक की आबादी को जनजातीय क्षेत्र घोषित करती है या नहीं।
आपको बता दें कि मार्च महीने में हाटी समिति के सम्मेलन में बाकायदा निर्णय लिया गया है कि यदि चुनाव से पूर्व जिला सिरमौर के गिरिपार को जनजातीय क्षेत्र का दर्जा नहीं मिला तो गिरिपार की 157 पंचायतों के लोग चुनाव का बहिष्कार करेंगे। केंद्रीय हाटी समिति ने सरकार को जुलाई तक की डेडलाइन दी है। यदि जुलाई तक जनजातीय मुद्दे पर कोई फैसला नहीं होता है तो गिरिपार की तीन लाख की आबादी ना केवल संघर्ष करने को मजबूर होगी बल्कि विधानसभा चुनाव का भी बहिष्कार करेंगे।