यंगवार्ता न्यूज़ - राजगढ़ 10-12-2020
देवठी मंझगांव स्थित रूद्र महादेव के प्रादुर्भाव पर रचित गाथा ने इन दिनों समूचे रासूमांदर क्षेत्र में धूम मचा रखी है। प्रदेश की उभरती कलाकार वंदना सरैक ने इस गाथा में स्वर दिया गया है जिसकी चहूं ओर प्रशंसा हो रही है।
वंदना सरैक इन दिनों इटरनल विश्वविद्यालय बड़ू साहिब से संगीत विषय में पीएचडी कर रही है। इस गाथा की रचना साहित्य जगत के प्रकांड विद्वान व साहित्यकार विद्यानंद सरैक नेे तैयार की है जिसे प्रबोधनी एकादशी के दौरान शिमला जिला के छैला में स्थित डिजिटल स्टूडियों में वंदना सरैक ने स्वर दिया है।
वंदना सरैक द्वारा इससे पहले भी रितेश परगना की आराध्या देवी टयाली के प्रादुर्भाव पर विद्यानंद सरैक द्वारा लिखित गाथा को स्वरों में पिरोया गया है। गौर रहे कि स्वर कोकिला वंदना सरैक को संगीत की शिक्षा अपने घर से घुटटी में मिली है। इनकी आवाज विश्व प्रसिद्ध प्लेबेक सिंगर लता मंगेश्कर से हूब-हूब मिलती जुलती है।
कहतें हैं कि संगीत व शक्ति है कि जिससे दिल को सकून मिलने के अलावा मनुष्य आध्यात्मिक व संवेदनशील बन जाता है। बचपन से ही वंदना सरैक को संगीत व खेल में काफी रूचि थी। शिक्षा ग्रहण के दौरान इनके द्वारा राष्ट्रीय स्तर की अनेक संगीत व खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेकर प्रदेश व अपने क्षेत्र का नाम रोशन किया है। वदंना सरैक ने आरंभिक शिक्षा अपने पैतृक गांव देवठी मंझगांव से हासिल की।
तदोपरांत संगीत सहित अन्य विषय में स्नातक की उपाधि डिग्री कॉलेज सोलन से उतीर्ण की। इनके द्वारा संगीत में स्नातकोत्तर की डिग्री हिप्र विश्व विद्यालय से हासिल की गई ।
और इन दिनों इटरनल विश्वविद्यालय बड़ू साहिब से पीएचडी कर रही है। वंदना सरैक ने एक साक्षात्कार में बताया कि वह संगीत अब उनके जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुका है तथा वह संगीत में क्षेत्र में बॉलीबुड में प्ले बेक सिंगर बनना उनका प्रमुख उददेश्य है ताकि वह अपने दादा विद्यानंद सरैक की इच्छाओं को पूरा कर सकूं क्योंकि उनकी प्रेरणा से ही उन्होने संगीत विषय चुना है।
इनका कहना है प्रदेश के प्रसिद्ध संगीतकार डॉ. कृष्णलाल सहगल और डॉ. राम स्वरूप शांडिल को संगीत में अपना आदर्श मानती है। गौर रहे कि वंदना ने शिमला में कुछ वर्षों पहले आयोजित हिमाचल ऑयडल प्रतियोगिता में भी भाग लेकर संगीत के क्षेत्र में प्रथम स्थान प्राप्त किया गया था।
वंदना के पिता रमेश सरैक शिक्षा विभाग में सहायक जिला खेल अधिकारी के पद पर कार्यरत रहे हैं। स्वरों की मल्लिका वंदना सरैक का कहना है कि वह अभी स्टेज शो देना पसंद नहीं करती है । उनका सर्वप्रथम उददेश्य संगीत कला में पीएचडी करना है ताकि वह अपने मुकाम को हासिल कर सकूं।