हिमाचल की दूसरी सबसे लंबी सुरंग कालका-शिमला नेशनल हाई-वे पर बनेगी

हिमाचल की दूसरी सबसे लंबी सुरंग कालका-शिमला नेशनल हाई-वे पर बनेगी। अटल टनल के बाद यह दूसरी सुरंग होगी और संजौली शहर के ठीक नीचे से होकर गुजरेगी। इस सुरंग की लंबाई 2.66 किलोमीटर होगी। सुरंग का डिजाइन तैयार

हिमाचल की दूसरी सबसे लंबी सुरंग कालका-शिमला नेशनल हाई-वे पर बनेगी

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला      26-09-2022

हिमाचल की दूसरी सबसे लंबी सुरंग कालका-शिमला नेशनल हाई-वे पर बनेगी। अटल टनल के बाद यह दूसरी सुरंग होगी और संजौली शहर के ठीक नीचे से होकर गुजरेगी। इस सुरंग की लंबाई 2.66 किलोमीटर होगी। सुरंग का डिजाइन तैयार हो चुका है। एनएचएआई ने इसके निर्माण की अनुमति दे दी है। 

कालका-शिमला नेशनल हाई-वे का करीब सवा पांच किलोमीटर हिस्सा सुरंग से होकर गुजरेगा। एनएचएआई ने इस मार्ग पर पांच सुरंग निर्माण का फैसला किया है और टेंडर भी जारी कर दिए हैं। यह सुरंग नेशनल हाई-वे की तर्ज पर ही फोरलेन होगी और एक बार में चार गाडिय़ां यहां से गुजर पाएंगी। 

कालका-शिमला नेशनल हाई-वे पर कैंथलीघाट से शिमला तक आखिरी हिस्से के निर्माण में यह सुरंग प्रस्तावित है। नेशनल हाई-वे के इस हिस्से के लिए पूर्व में भी टेंडर जारी हुए थे। पुराने टेंडर में सुरंग का प्रस्ताव नहीं था, जबकि दोबारा से तैयार डीपीआर में अब सुरंग को शामिल किया गया है। इस मार्ग की बात करें तो 28.46 किलोमीटर लंबे इस नेशनल हाई-वे को फोरलेन बनाया जा रहा है। 

इसकी कुल लागत 3915 करोड़ रुपए आंकी गई है। सोलन और कुमारहट्टी के बीच भी करीब एक किलोमीटर लंबी सुरंग बड़ोग में बनाई जा चुकी है, जबकि कैंथलीघाट और सोलन के बीच कंडाघाट में एक अन्य सुरंग का निर्माण चल रहा है। 

इन दोनों सुरंगों को मिलाकर इस समूचे मार्ग पर कुल सात सुरंग बनने वाली हैं। इनमें सबसे लंबी सुरंग 2.66 किलोमीटर जबकि सबसे छोटी सुरंग 242 मीटर की होगी। यह दोनों सुरंग तीन साल की अवधि में बनकर तैयार होगा।

एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी अब्दुल बासित ने बताया कि कालका-शिमला नेशनल हाई-वे अब पर्यटकों की पहली पसंद बनने वाला है। यह सफर पर्यटकों को काफी सुकून देगा। पर्यटक यहां हर एक पल को महसूस करते हुए प्रकृति की गोद में पहुंचेंगे। 

नेशनल हाई-वे के आखिरी हिस्से में पांच सुरंगों का निर्माण किया जाना है। इनमें से सबसे लंबी सुरंग 2.66 किलोमीटर की होगी। मार्ग का करीब सवा पांच किलोमीटर हिस्सा धरती के नीचे ही रहेगा। एक विश्वस्तरीय पुल का निर्माण भी प्रस्तावित है। इस मार्ग पर कुल सात सुरंगें बनने वाली हैं।