आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नहीं बन पाई नीति , जानिए क्यों लटक गया मामला

हिमाचल प्रदेश में आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति बनाने का मुद्दा अगले एक महीने के लिए फिर लटक गया है। अधिकारियों की तरफ से विभागों में घोषित डाइंग काडर को लेकर पुख्ता रिपोर्ट न आने की वजह से अब सरकार को आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति बनाने में और समय लगेगा

आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नहीं बन पाई नीति , जानिए क्यों लटक गया मामला

 

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  28-04-2022

 

हिमाचल प्रदेश में आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति बनाने का मुद्दा अगले एक महीने के लिए फिर लटक गया है। अधिकारियों की तरफ से विभागों में घोषित डाइंग काडर को लेकर पुख्ता रिपोर्ट न आने की वजह से अब सरकार को आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति बनाने में और समय लगेगा। डाइंग काडर को लेकर ठोस रिपोर्ट देने के लिए मंत्रिमंडलीय उपसमिति ने अधिकारियों को और समय दिया है। 

 

प्रदेश में करीब 38 हजार कर्मचारी विभिन्न विभागों, बोर्डों व निगमों में आउटसोर्स पर कार्यरत हैं। एजेंसियों के माध्यम से भर्ती इन कर्मचारियों को वेतन सरकार देती है। वेतन विसंगतियों के साथ-साथ कर्मचारियों के ईपीएफ व समय पर वेतन न मिलने की भी शिकायतें सरकार तक पहुंची हैं। पिछले कई वर्षों से आउटसोर्स पर काम कर रहे कर्मचारी सरकार से लगातार नीति बनाने का मामला उठा रहे हैं। सरकार ने मुद्दे के समाधान को लेकर जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में मंत्रिमंडलीय उप समिति का गठन किया है।

 

 बीते दिनों आउटसोर्स कर्मचारियों के प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक में जल शक्ति मंत्री ने नीति बनाने से पहले इनसे लिखित तौर पर सुझाव देने को कहा था। सुझाव 10 अप्रैल तक मांगे गए थे। इसके बाद जल शक्ति मंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में आउटसोर्स को विभिन्न विभागों में घोषित डाइंग काडर के पदों पर समायोजित करने का फैसला लिया गया। जल शक्ति, लोक निर्माण, शिक्षा विभाग व बिजली बोर्ड में हजारों पद डाइंग काडर के घोषित हैं। हाल ही में बैठक के बाद मंत्रिमडलीय उपसमिति के अध्यक्ष जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने अधिकारियों से विभिन्न विभागों में डाइंग काडर के पदों को लेकर पुख्ता ब्योरा मांगा था।

 

 वीरवार को पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत में उन्होंने कहा कि अधिकारियों को ब्योरा जल्द भेजने को कहा गया है। इसके बाद उप समिति इस पर चर्चा करेगी। चर्चा के बाद ड्राफ्ट मंत्रिमंडल की बैठक में चर्चा के लिए जाएगा। इसमें करीब एक माह का समय लगेगा। मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद ही आउटसोर्स की नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा। डाइंग काडर के पदों पर आउटसोर्स को समायोजित करने से पहले काडर को रिवाइव करना होगा। इसके बाद वित्त विभाग से इन पदों पर आउटसोर्स के समायोजन की मंजूरी भी लेनी होगी।