हिमाचल विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक (सीओई) डॉ. जेएस नेगी के खिलाफ सरकार ने अभियोजन मंजूरी दे दी है। राजधानी शिमला स्थित एक्सीलेंस कॉलेज संजौली के 80 लाख रुपये के घोटाले मामले की विजिलेंस जांच कर रही है। वर्ष 2016 में यह घोटाला सामने आया था। कॉलेज के तीन प्रिंसिपलों पर लाखों रुपये की खरीद फरोख्त की कैश बुक न भरने का आरोप है। दो प्रिंसिपल सेवानिवृत्त हो चुके हैं। एक प्रिंसिपल अभी विश्वविद्यालय में बतौर सीओई कार्यरत हैं। इनके खिलाफ अभियोजन मंजूरी मिलने से अब विजिलेंस ब्यूरो चार्जशीट दायर कर सकेगा। शिक्षा विभाग की ओर से अभियोजन मंजूरी दी गई है। वर्ष 2016 के दौरान संजौली कॉलेज में 80 लाख रुपये का घोटाला मामला सामने आया था। ढाई साल से कैश बुक नहीं भरने की शिकायत मिलने पर शिक्षा निदेशालय ने मई 2016 में मामले की जांच के आदेश दिए थे। शिकायत की प्रारंभिक जांच के दौरान ही सीनियर असिस्टेंट को सस्पेंड कर दिया था। कॉलेज के विभिन्न बिलों की अदायगी, सामान की खरीद और ग्रांट में यह गोलमाल किया गया है। उच्च शिक्षा निदेशालय के ज्वाइंट कंट्रोलर वित्त की जांच रिपोर्ट में इसका स्पष्ट तौर पर उल्लेख है। सरकारी धनराशि के इस घोटाले में कॉलेज के कई अन्य कर्मचारियों की संलिप्तता का अंदेशा भी जांच रिपोर्ट में जताया गया है। इस मामले में कॉलेज के डीडीओ पावर वाले कई अफसरों सहित पूर्व प्रिंसिपलों पर लापरवाही बरतने का आरोप है। नियमानुसार कॉलेज प्रशासन को हर खरीद का कैश बुक में ब्यौरा देना पड़ता है। बजट कहां से आया, बजट को कहां-कहां खर्च किया गया। इसकी पूरी जानकारी कैश बुक में होनी चाहिए। लेकिन ढाई साल तक कैश बुक भरी ही नहीं गई। कालेज के प्रिंसिपलों ने भी इसकी अनदेखी की। बीते वर्ष विजिलेंस ब्यूरो ने सरकार से अभियोजन मंजूरी देने की मांग की थी।