पुलिस ने अनशन पर बैठे सचिन ओबरॉय को जबरन उठाया अनशन से ,कहते रहे क्यों जबरन उठा रहे

गौ संरक्षण के लिए 4 दिन से आमरण अनशन पर बैठे सचिन ओबरॉय को पुलिस इलाज के नाम पर सुबह जबरन उठाकर ले गई ,जबकि सचिन ओबराय ने कहा

पुलिस ने अनशन पर बैठे सचिन ओबरॉय को जबरन उठाया अनशन से ,कहते रहे क्यों जबरन उठा रहे

यंगवार्ता न्यूज़ - पांवटा साहिब. 22-10-2021


पांवटा साहिब में गौ संरक्षण के लिए 4 दिन से आमरण अनशन पर बैठे सचिन ओबरॉय को पुलिस इलाज के नाम पर सुबह जबरन उठाकर ले गई ,जबकि सचिन ओबराय ने कहा कि वह बिल्कुल ठीक हैं,बावजूद इसके भी एक अकेले व्यक्ति को अनशन से उठाया गया ।


बता दे कि अनशन स्थल से सिविल अस्पताल पांवटा ले जाने की बात पुलिस ने कही,जबकि गो सेवक को सीधे नाहन मेडिकल कॉलेज ले जाया गया आखिर क्यों ? .

आज चार दिन पूरे होने पर अनशन पर बैठे सचिन ओबरॉय की तबीयत बिल्कुल ठीक है,क्योंकि सिविल अस्पताल के चिकित्सक सचिन का चेकअप करने आते ही रहते हैं और यहां तक रात रात को भी चेकअप किया जाता है ,बावजूद इसके उन्हें अनशन स्थल से जबरन उठाया गया। 

आखिर प्रशासन की क्या मंशा है। इस तरह से सुबह तड़के गौ रक्षक को उठाने कि आखिर क्या जरूरत पड़ी। 

सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या  गौ संरक्षण का राग अलापने वाली सरकार के आदेशों पर किया गया है।  

यदि सरकार के आदेशों पर किया गया है तो सरकार को एक अकेले व्यक्ति से इतना डर क्यों लग रहा था। 

आपको बता दें कि गौ संरक्षण की मुहिम शुरू करने वाले सचिन ओबरॉय के साथ बड़ी संख्या में संस्थाएं और लोग जुड़ने लगे थे। 

जिलेभर से सचिन को समर्थन मिलने लगा है,अन्य जिलों में भी गौ संरक्षण के इस आंदोलन की चर्चा शुरू हो गई है।

सचिन ओबरॉय यह संदेश देने में कामयाब हुए हैं तमाम सरकारी अमला गौ संरक्षण के के इंतजामों में असफल साबित हुआ है। 

लिहाजा सचिन ओबरॉय को जबरन उठाने के इस कदम को सरकार के इसी डर के रूप में देखा जा रहा है कि कहीं यह मुहिम प्रदेशव्यापी ना हो जाए।

सवाल यह भी उठ रहे हैं कि गौ रक्षक की मांगे मानने के अलावा सरकार उसके आंदोलन को जबरन दबाने का प्रयास क्यों कर रही है।


सचिन ओबरॉय की क्यों नहीं मानी जा रही मांगे क्या मांगों में कोई है गलती?

यह भी एक बड़ा सवाल है की एक अकेला व्यक्ति जो गौ संरक्षण के लिए आवाज उठा रहा है उसकी आवाज को दबाया जा रहा है ।

गौ सरंक्षण के लिए और भी संस्थाएं सामने आई थी अब वह संस्थाएं कहां गायब हैं।

बताते चले को गो को हिन्दू धर्म मे माता माना जाता है और आज सड़कों पर उसी माता का तिरस्कार हो रहा लोग अपनी गलती को दोहराते आये हैं और जब उनका काम निकल जाता है तो गो को दर दर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ देते हैं ।

अब सवाल यह है कि क्यों प्रशासन इसमे पीछे रह जाता है आज सचिन की मांग है कि गो माताओं के लिए एक काऊ सेंचुरी तो खोली जाए,जब राजनीति की बात होती है तब तो गायों की पूजा नेता करते हुए अक्सर दिखते हैं,ओर समय आने पर नजर तक नही आते हैं ।