पांवटा नगर परिषद के 100 कर्मचारियों को नहीं मिला दिसंबर का वेतन , पहली जनवरी से नहीं है ईओ 

पांवटा नगर परिषद में कार्यकारी अधिकारी सहित अन्य मुख्य पद रिक्त पड़े हैं। ऊर्जा मंत्री मानों अपनी कुंभकर्ण की निद्रा में इतना सोए हैं कि शहर का कोई पता नही , न ही अभी तक डॉक्टरों की नियुक्ति हो पाई है।

पांवटा नगर परिषद के 100 कर्मचारियों को नहीं मिला दिसंबर का वेतन , पहली जनवरी से नहीं है ईओ 

मंत्री जी ! 30 पद पहले ही रिक्त अब जेई की भी हो गई है ट्रांसफर


अंकिता नेगी - पांवटा साहिब  15-01-2022


पांवटा नगर परिषद में कार्यकारी अधिकारी सहित अन्य मुख्य पद रिक्त पड़े हैं। ऊर्जा मंत्री मानों अपनी कुंभकर्ण की निद्रा में इतना सोए हैं कि शहर का कोई पता नही , न ही अभी तक डॉक्टरों की नियुक्ति हो पाई है।

बात करें कोरोना की तीसरी लहर नया वेरियंट ओमिक्रोन ने प्रशासन और सरकार की चिंताएं बढ़ा दी हैं , लेकिन पांवटा शहर में कोरोना की रोकथाम के लिए कितना काम हो सकता है इसका अंदाजा खुद ही लगाया जा सकता है।

बात पांवटा साहिब नगर परिषद की हो रही है जहां पर पहली जनवरी से कार्यकारी अधिकारी का पद रिक्त पड़ा है, वहीं जेई की भी ट्रांसफर हो गई है। सिविल अस्पताल में डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं हुई हैं, इसके साथ ही सेनेटरी सुपरवाइजर सहित अन्य 30 पद रिक्त पड़े हैं।

ऐसे में कोरोना वायरस के दौरान रोकथाम के उपायों के लिए नगर परिषद कितना काम कर पाएगी यह सोचने वाले विषय है। जानकारी के मुताबिक पांवटा साहिब में नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी का कार्यभार नायब तहसीलदार देख रहे थे जो बीते वर्ष 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उसके बाद कार्यकारी अधिकारी का किसी के पास अतिरिक्त कार्यभार भी नहीं है।

परिणाम स्वरूप जहां अभी तक करीब 100 कर्मचारियों के दिसंबर माह का वेतन जारी नहीं हो पाया है, वही कोरोना की रोकथाम के लिए शहर में नगर परिषद द्वारा करवाए जाने वाले दवाइयों के छिड़काव की मुहिम को भी धक्का लग गया है।

कांग्रेस की माने तो एक और जहां ऊर्जा मंत्री पांवटा साहिब के विकास के दावे करते फिर रहे हैं वहीं दूसरी और नगर परिषद में अहम पदों से लेकर अन्य 30 पदों के रिक्त होने से ही पता चल जाता है कि पांवटा का विकास किस गति से चल रहा है। सवाल यह है क्या ऊर्जा मंत्री शहर की समस्या को समझने में असमर्थ हैं या फिर समझने के बाद भी कोई काम धरातल पर नही उतार पा रहे हैं। ऐसा लग रहा मानों शहर नही एक पिछड़े ग्रामीण क्षेत्र में रह रहे हो।

इतनी बदहाल व्यवस्था पांवटा शहर की हो गई हैं। जानकारी के मुताबिक पांवटा साहिब में नगर परिषद में करीब 100 कर्मचारी कार्य करते हैं। इनमे 87 कर्मचारी अनुबंध और आउटसोर्स पर तैनात है, जबकि बाकी के नियमित कर्मचारी मौजूद है।

कार्यकारी अधिकारी का पद रिक्त होने के चलते इन कर्मचारियों को दिसंबर माह का वेतन भी अभी तक नहीं मिल पाया है, जो 1 से 7 तारीख तक जारी हो जाता था। इसके अतिरिक्त डोर टू डोर गारबेज उठाने वाले कर्मचारियों का वेतन भी जारी नहीं हो पाया है।

यही नहीं पिछले दो वर्षों में जिस नगर परिषद ने कोरोना महामारी के दौरान बेहतरीन सेवाएं दी है, वह इस बार अधिकारियों की अनुपस्थिति में कुछ कार्य करने में भी असमर्थ सी नजर आ रही है। ना तो अभी तक शहर में कहीं भी दवाई का छिड़काव हो पाया है और न ही सरकार और सरकार के नुमाइंदे यहां पर रिक्त पदों को भरने की जहमत उठा रहे हैं।

जानकारी यह मिली है कि यहां पर तैनात कनिष्ठ अभियंता का भी यहां से नाहन तबादला हो गया है। हालांकि कार्यकारी अधिकारी का पद रिक्त होने के चलते जेई अभी तक रिलीव नहीं हुए हैं। लेकिन आए दिन अहम विभागों के पदों का रिक्त होना कहीं ना कहीं विपक्ष के लिए भी एक बड़ा मुद्दा बन गया है, जिस पर आने वाले समय में राजनीति देखने को मिल सकती है।

ऐसे में यदि जल्द यहां पर ईओ सहित अन्य रिक्त पदों पर भर्ती नही होती तो ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी की मुश्किलें आने वाले समय में और बढ़ सकती है। उधर, इस बारे एसडीएम पांवटा साहिब विवेक महाजन ने कहा कि उन्हे फिलहाल ईओ के अतिरिक्त कार्यभार संभालने के कोई आदेश नही मिले हैं। रही बात शहर मे छिड़काव की तो वह अपने कार्यालय के माध्यम से शहर मे छिड़काव करवा रहे हैं।