फर्जी डिग्रियां प्रकरण : सीआइडी क्राइम ब्रांच की एपीजी विश्वविद्यालय में दबिश , कब्जे में लिया रिकार्ड

फर्जी डिग्रियां प्रकरण : सीआइडी क्राइम ब्रांच की एपीजी विश्वविद्यालय में दबिश , कब्जे में लिया रिकार्ड

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 26-08-2020

फर्जी डिग्री मामले की जांच में क्राइम इन्वेस्टीगेशन डिपार्टमेंट (सीआइडी) ने कार्रवाई तेज कर दी है। सीआइडी की क्राइम ब्रांच ने बुधवार को डीएसपी मुकेश कुमार की अगुवाई में शिमला स्थित एपीजी विश्वविद्यालय में दबिश दी। जांच एजेंसी ने दाखिलों व डिग्रियों का रिकॉर्ड कब्जे में लिया। इसके लिए कोर्ट से सर्च वारंट लिया गया।

इस दौरान फॉरेंसिक साइंस प्रयोगशाला जुन्गा के विशेषज्ञ भी साथ थे। इससे पहले विश्वविद्यालय प्रबंधन रिकॉर्ड देने में आनाकानी करता रहा है। दो बार सीआइडी ने ही रिकॉर्ड कब्जे में लिया था। राज्य निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग को रिकॉर्ड पूरा नहीं दिया गया। आरोप है कि रिकॉर्ड जलाया गया है।

विश्वविद्यालय में कार्यरत एक विभागाध्यक्ष पर फर्जी डिग्री बनाने का दबाव बनाया गया। जब बात नहीं बनी तो उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। उन्होंने और एक पूर्व छात्र ने इसकी पुलिस से भी शिकायत की थी, लेकिन विवि अपने रसूख के आगे शिकायतों की जांच नहीं होने देती थी। सीआइडी जांच से कई उलझे हुए सवाल भी सुलझेंगे। क्राइम ब्रांच की जांच की आंच कई लोगों तक पहुंच सकती है।

डिग्रियों की सच्चाई का पता लगाना बड़ी चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि अपने प्रभाव के आगे पहले भी रिकॉर्ड पूरा उपलब्ध नहीं करवाया गया है। पहली नजर में 242 डिग्रियां संदेह के घेरे में आ गई हैं। सीआइडी की सिफारिश पर ही सोलन की मानव भारती विश्वविद्यालय की भी जांच हो रही है।

इसमें एफआइआर दर्ज करने की सिफारिश की गई थी। बाद में डीजीपी ने इसके लिए पुलिस की अलग से एसआइटी गठित की। गौरतलब है कि मार्च में एसआइटी ने निर्धारित प्रपत्र पर कुछ और रिकॉर्ड मांगा था। इसका अवलोकन करने पर पाया गया कि विवि ने कुल 1666 डिग्रियां अवार्ड की हैं।

इससे 242 डिग्रियां कम पाई गईं। इससे इन पर फर्जी होने का संदेह जताया जा रहा है। हालांकि अभी तक यह साबित होना बाकी है कि आखिर कितनी डिग्रियां फर्जी हैं। इस संबंध में दाखिला रिकॉर्ड, फेकल्टी फाइल, अटेंडेंस रजिस्टर, परीक्षा अटेंडेंस शीट आदि का गहन अध्ययन किया जा रहा है। कुछ रिकॉर्ड जलाए जाने के भी आरोप हैं।

इन आरोपों की भी जांच चल रही है। निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के पूर्व सदस्य डा. एसपी कत्याल में कहा कि हमने रिकॉर्ड मांगा गया था, लेकिन अधूरा ही दिया गया था। इसमें दाखिलों में अनियमितता सामने आई थी। वहां सब कुछ ठीक नहीं है। गैर कानूनी कार्यों को लेकर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

उधर, सोलन की मानव भारती विवि के डिग्री फर्जीवाड़े के तार विदेश से भी जुड़े हैं। आस्ट्रेलिया से कई शिकायतें आई हैं। इनकी जांच की जा रही है। इस मामले में गृह, विदेश मंत्रालय के साथ उठाया जा रहा है। यहां के विवि के नाम से राजस्थान के माउंटआबू में माधव विवि के स्टाफ को भी फर्जी डिग्रियां बांटी गई है।

कोरोना संक्रमण के कारण पुलिस जांच प्रभावित हो रही है। जांच के लिए टीमें दूसरे राज्यों में नहीं जा पा रही है। फर्जीवाड़े का मुख्य आरोपित राजकुमार राणा अभी न्यायिक हिरासत में जेल में है।

डीएसपी एवं सदस्य एसआइटी रमेश शर्मा ने बताया कि मानव भारती विवि के फर्जी डिग्री मामले के तार कई राज्यों से जुड़े हुए हैं। कोरोना संक्रमण के कारण बाहर जांच संभव नहीं हो पा रही है। विदेश से आई शिकायतों की जांच चल रही है।