बड़ा फैसला : कोरोना संक्रमितों के सैंपल पर हो सकेगी रिसर्च

बड़ा फैसला : कोरोना संक्रमितों के सैंपल पर हो सकेगी रिसर्च


न्यूज़ एजेंसी - नई दिल्ली   30-March-2020

कोरोना वायरस को लेकर भारत सरकार ने बड़ा फैसला लिया है जिसके बाद वैज्ञानिकों का हौसला भी काफी बढ़ गया है। सरकार ने कोविड-19 पर दवा और वैक्सीन इत्यादि की रिसर्च के लिए वैज्ञानिकों की राह को आसान बना दिया है।

जानकारी के अनुसार भारत सरकार ने कोविड-19 संक्रमित मरीजों के रक्त, नाक और गले से लिए सैंपल पर रिसर्च करने के लिए मंजूरी दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशों पर गठित उच्च स्तरीय समिति ने लिखित आदेश भी जारी कर दिए हैं।

अब अगर कोई वैज्ञानिक चाहे तो वह कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज के सैंपल पर रिसर्च शुरू कर सकते हैं। इसके लिए उक्त वैज्ञानिक को पुणे स्थित एनआईवी लैब में कुछ कागजी कार्यवाही करनी होगी जिसके बाद उन्हें सैंपल मिल जाएंगे।

एनआईवी पुणे ने संक्रमित मरीजों के सैंपल एकत्रित करना शुरू भी कर दिया है। प्राइवेट लैब की जांच में संक्रमित मिलने पर सैंपल को पुणे स्थित लैब में जांच की जा रही है। यहां भी संक्रमित मिलने के बाद ही उसे कोविड-19 बताया जा रहा है।

साथ ही उसका सैंपल भी लैब में सुरक्षित रखा जा रहा है। सोमवार सुबह तक देशभर में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 1090 पहुंच चुकी है। इनमें से 29 लोगों की मौत भी हो चुकी है। पिछले दो दिन में 9 लोगों की मौत हुई है।

जबकि उससे पहले दो दिन में 10 लोगों की मौत हुई थी। अभी तक देश में 35 हजार सैंपल की जांच हो चुकी है। दिल्ली सहित देश भर में 113 सरकारी और 45 निजी लैब में जांच चल रही है।

उधर दिल्ली एम्स ने भी अपने यहां कोरोना वायरस पर रिसर्च के लिए सैंपल सुरक्षित रख लिए हैं। एम्स के पल्मोनरी विभाग के एक वरिष्ठ डॉक्टर का कहना है कि इस वक्त सरकार के इन्हीं प्रयासों की जरूरत पूरे चिकित्सीय क्षेत्र को है।

किसी वायरस का एंटी डोज तैयार करना है तो उसके लिए संक्रमित मरीजों का सैंपल लेना बहुत जरूरी होता है। तभी रिसर्च को आगे बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने ये भी कहा कि इस फैसले के बाद देश के युवा वैज्ञानिकों का हौसला काफी बढ़ा है।

जल्द ही दिल्ली एम्स के भी तीन से चार टीमें इन पर शोध शुरू करेंगी। उच्च स्तरीय समिति के सदस्य डॉ. वीके पॉल का कहना है कि फिलहाल पूरी दुनिया में कोविड-19 पर रिसर्च चल रही हैं। इनमें से कुछ एनिमल ट्रायल तक पहुंच चुकी हैं हालांकि अभी तक निष्कर्ष पर कोई नहीं पहुंचा है।

इसलिए भारत में ज्यादा से ज्यादा रिसर्च की जरूरत है। इसीलिए वैज्ञानिकों को बढ़ावा देने के लिए संक्रमित मरीजों के सैंपल पर शोध करने की मंजूरी दी गई है।

इसके दूरगामी परिणाम काफी सकारात्मक मिलने की उम्मीद है।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक निदेशक ने बताया कि सभी अस्पताल और जांच प्रयोगशालाओं को सैंपल एकत्रित कर पुणे एनआईवी को भेजने के निर्देश दिए जा चुके हैं।

सैंपल किस तरह से मानकों का ख्याल रखते हुए भेजना है, ये भी उन्हें बताया गया है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने पहचान छिपाने की शर्त पर बताया कि जिन मरीजों में कोरोना संक्रमण मिला है और वे ठीक होकर अस्पताल से डिचार्ज हो चुके हैं। उनके ब्लड सैंपल लेकर रिसर्च की जाएगी ताकि एंटीबॉडीज के जरिए वायरस का तोड़ मिल सके।

देश के पहले तीन मरीजों में मिला कोरोना का स्वरूप

पुणे एनआईवी निदेशक प्रिया अब्राहम ने बताया कि उनकी टीम ने हाल ही में एक रिसर्च पूरी की है जिसे इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित भी किया है।

देश के पहले तीन कोविड-19 संक्रमित मरीजों के सैंपल पर हुए अध्ययन के बाद नोवल कोरोना वायरस के स्वरुप का पता चल चुका है। वहीं इनमें से दो सैंपल की पहचान वुहान में मिले संक्रमण से हो चुकी है।

इनके बीच आपसी समानता 99.98 फीसदी है। जबकि एक मरीज में संक्रमण की समानता 55 फीसदी मिली है।