शिमला के चार गांव के लिए सपना बनी आदर्श ग्राम योजना  

प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना नाम पर  चयनित चार गांव में बीते चार वर्षों से एक भी ईंट भी नहीं लग पाई है। जिस बारे ग्रामीणों में सरकार के प्रति रोष व्याप्त

शिमला के चार गांव के लिए सपना बनी आदर्श ग्राम योजना  

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला    09-03-2022

प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना नाम पर  चयनित चार गांव में बीते चार वर्षों से एक भी ईंट भी नहीं लग पाई है। जिस बारे ग्रामीणों में सरकार के प्रति रोष व्याप्त है। पीरन पंचायत के लोगों का कहना है कि पीएमएजीवाई योजना के नाम पर लोगों के साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ है।  

हालांकि इस योजना के तहत 20-20 लाख का प्रावधान किया गया है। इस योजना के तहत 20 प्रतिशत बजट पीएमएजीवाई से और 80 प्रतिशत बजट अन्य विभागों के माध्यम से अभिसरण (कन्वर्जेंस ) से व्यय किया जाना प्रस्तावित था अर्थात इस योजना के तहत एक गांव में विकास कार्य पर एक करोड़ व्यय किया जाना प्रस्तावित था।

बता दें कि वर्ष 2018-19 के दौरान मशोबरा ब्लाॅक के चार गांव सोनल, डुंब्लु, पीरन और रझाना का  प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत चयन किया गया था। इन गांवों के समग्र विकास के लिए 20-20 लाख का प्रावधान किया गया था। पीएमएजीवाई की खुशी में पीरन पंचायत मुख्यालय पर पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा बीते वर्ष आभार रैली भी निकाली गई थी।  

तीन वर्ष के अंतराल के उपरांत बीते वर्ष मशोबरा ब्लाॅक के अधिकारियों द्वारा संबधित  ग्राम पंचायत कार्यालयों पर  इस बारें बैठकें की गई थी जिसमें कार्य योजना तैयार की गई थी। इस योजना के तहत 20 प्रतिशत बजट पीएमएजीवाई से और 80 प्रतिशत बजट अन्य विभागों के माध्यम से अभिसरण (कन्वर्जेंस ) से किया जाना प्रस्तावित था जिस पर सभी विभागों द्वारा बजट न होने बारे बैठक में नोडल एजेंसी ब्लाॅक को अवगत करवाया गया था। 

ब्लाॅक द्वारा मनरेगा का अभिसरण करके कुछ कार्यों की हामी अवश्य भरी गई थी । बैठक में तैयार शैल्फ एक वर्ष बीत जाने के बावजूद फाईलों में दफन होकर रह गई ।पीएम आदर्श गांव योजना के तहत इन गांव में बिजली, पानी, रास्तों को पक्का करना, बागवानी, कृषि, स्वास्थ्य सेवाएं, वनीकरण संबधी कार्य किए जाने प्रस्तावित  थे।

पीरन पंचायत के पूर्व प्रधान दयाराम वर्मा, अतर सिंह ठाकुर व कमलेश ठाकुर, वरिष्ठ नागरिक दौलतराम वर्मा सहित अनेक लोगों ने बताया कि पीएमएजीवाई योजना एक मजाक बनकर रह गई है। इन्होने सरकार से मांग की है कि यह योजना किन कारणों से बीते चार वर्षों में कार्यान्वित नहीं हो पाई इस बारे जांच की जानी चाहिए।

बीडीओ कार्यालय मशोबरा के एससीबीपीओ कामराज ठाकुर ने बतायाा कि चार में से तीन गांव पीरन, सोनल और रझाना की शैल्फ स्वीकृत हो गई है। शीघ्र ही कार्य आरंभ कर दिए जाएंगे। जबकि डुब्लु गांव की फाईल तकनीकी कमियों के चलते अभी लंबित पड़ी है।