सिरमौर में 60 हजार स्कूली बच्चों को परोसा जा रहा है मिड-डे-मील , लाखों लोगों का जीवनयापन का जरिया बना सस्ता राशन 

रोटी, कपड़ा और मकान जीवन की तीन मूलभूत जरूरतेें हैं। इनमें भूख को शांत करने की चिंता सर्वोपरी है और प्राणी सदियों से दिन-रात इसी के लिये जद्दोजहद करता आ रहा है। अपनी प्रजा की इन जरूरतों की पूर्ति करना एक आदर्श राज्य की जिम्मेवारी भी है। इसी जिम्मेवारी का निर्वहन करते हुए सरकार अपने नागरिकों को उनके आर्थिक वर्गीकरण के आधार पर सस्ता राशन उपलब्ध करवा रही है जिससे संभवतः उन परिवारों का जीवनयापन काफी सरल हुआ

सिरमौर में 60 हजार स्कूली बच्चों को परोसा जा रहा है मिड-डे-मील , लाखों लोगों का जीवनयापन का जरिया बना सस्ता राशन 

यंगवार्ता न्यूज़ - नाहन  20-06-2023
 
रोटी, कपड़ा और मकान जीवन की तीन मूलभूत जरूरतेें हैं। इनमें भूख को शांत करने की चिंता सर्वोपरी है और प्राणी सदियों से दिन-रात इसी के लिये जद्दोजहद करता आ रहा है। अपनी प्रजा की इन जरूरतों की पूर्ति करना एक आदर्श राज्य की जिम्मेवारी भी है। इसी जिम्मेवारी का निर्वहन करते हुए सरकार अपने नागरिकों को उनके आर्थिक वर्गीकरण के आधार पर सस्ता राशन उपलब्ध करवा रही है जिससे संभवतः उन परिवारों का जीवनयापन काफी सरल हुआ है जो बामुश्किल दो वक्त की रोटी की ही जुगत में लगे रहते थे। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 की यदि बात करें तो अधिनियम के तहत सिरमौर जिला के ग्रामीण क्षेत्रों से 2.67 लाख की जनसंख्या तथा शहरी क्षेत्रों से 14138 की आबादी को शामिल करने की अधिसूचना जारी की गई थी। 
 
 
 
इसमें अंत्योदय अन्न योजना, बीपीएल, बीपीएल फार पीडीएफ , तिब्बतियन शरणार्थी, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग से कल्याण योजनाओं में पेंशन प्राप्त कर रहे सदस्यों के परिवार, दिव्यांग जन शामिल किये गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में पात्र परिवारों का चयन ग्राम सभाओं द्वारा तथा शहरी क्षेत्रों में लाभार्थियों का चयन शहरी निकायों द्वारा किया जा रहा है। कुल 2.81 लाख लोगों में से अभी तक 2.39 लाख की आबादी को अधिनियम के तहत सस्ता राशन के लिये चयनित कर लिया गया है जबकि 42 हजार 330 की आबादी अभी शेष है जिसे अधिनियम के तहत सस्ता राशन प्रदान किया जा सकता है। बता दें की राज्य सरकार की सस्ता अन्न योजनाओं के अंतर्गत प्रदेश की बड़ी आबादी को शामिल किया गया है और अब ऐसे कोई परिवार नहीं हैं जिन्हें सस्ते अनाज की किसी भी योजना में शामिल किया जा सके। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गरीबी रेखा से ऊपर अर्थात एपीएल श्रेणी के अंतर्गत आने वाले उपभोक्ताओं को 11 किलोग्राम गन्दम आटा 9.30 रुपये किलोग्राम की दार से तथा पांच किलोग्राम चावल 10 रुपये की दर से उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।
 
 
 
 मिड-डे-मील योजना के अंतर्गत जिा में कुल 1049 प्राथमिक स्कूल तथा 448 उप्पर प्राामिक स्कूलों में लगभग 60 हजार छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं और इन सभी को फोर्टिफाइड चावल प्रदान किया जा रहा है। अन्त्योदय अन्न योजना के तहत चयनित राशन कार्ड धारकों को हर महीने 3 रुपये प्रति किलो की दर से 15 किलोग्राम चावल तथा 3.20 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से 18.800 किलोग्राम प्रति कार्ड गन्दम आटा प्रदान किया जा रहा हैं। बता दें कि जनवरी 2023 से प्रदेश सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभार्थियों को आटा व चावल मुफत उपलब्ध करवा रही हे केवल आटा पिसाई 1.20 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से उपभोक्ताओं से ली जा रही है। अधिनियम के तहत प्राथमिक गृहस्थियों में समस्त बी.पी.एल. व अतिरिक्त बी.पी.एल. परिवार, समस्त तिब्तियन शरणार्थी, समस्त अननपूर्णा राशन कार्ड, वृद्धावस्था पेंशन, निःशक्तता पेंशन तथा कुष्ट रोग पेंशन प्राप्त करने वालों सहित अन्य चयनित परिवार भी शामिल हैं जिन्हें हर महीने 3 रुपये प्रति किलो की दर से दो किलोग्राम प्रति व्यक्ति चावल तथा 3.20 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से 18.800 किलोग्राम प्रति व्यक्ति गन्दम आटा प्रदान किया जा रहा हैं। प्रत्येक बी.पी.एल. परिवार को हर महीने कम से कम 35 किलोग्राम राशन उपलब्ध करवाया जा रहा है। 
 
 
 
उपायुक्त सुमित खिमटा का कहना है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अन्तर्गत वितरित किये जा रहे खाद्यान्नों के निर्धारित मात्रा में न मिलने अथवा निम्न गुणवत्ता के खाद्यान्न मिलने की किसी भी शिकायत को गंभीरतापूर्वक लिया जा रहा है। समय-समय पर खाद्यान्नों की गुणवता की जांच करवाईं जा रही है। ग्राम पंचायत स्तर पर, शहरी निकायों तथा विकास खण्ड स्तर पर सतर्कता समितियों का गठन किया गया है जो हर समय राशन की गुणवत्ता अथवा शिकायतों की निगरानी करती हैं। अधिनियम में शामिल पात्र लोगों के अलावा प्रदेश सरकार हर महीने उपभोक्ताओं को उचित मूल्यों की दुकानों के माध्यम से करोड़ों की सब्सिडाईजड आवश्यक खाद्य वस्तुएं प्रदान कर रही हैं।