होला मोहल्ला मेले की तैयारियां मुकम्मल , आज से पांवटा साहिब में आस्था का उत्सव

जिला सिरमौर के पांवटा साहिब में प्रसिद्ध होला मोहल्ला मेले की तैयारियों को लेकर पांवटा साहिब प्रशासन, गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और नगर परिषद जुट गई है

होला मोहल्ला मेले की तैयारियां मुकम्मल , आज से पांवटा साहिब में आस्था का उत्सव

यंगवार्ता न्यूज़ - पांवटा साहिब  06-03-2023

जिला सिरमौर के पांवटा साहिब में प्रसिद्ध होला मोहल्ला मेले की तैयारियों को लेकर पांवटा साहिब प्रशासन, गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और नगर परिषद जुट गई है। दुकानों के लिए प्लॉट्स की नीलामी हो चुकी है। झूलों की बोली लगने के बाद ठेकेदार ने पुलिस ग्राउंड में झूले लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। 
 
 
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के उपाध्यक्ष हरभजन सिंह व मैनेजर जागीर सिंह ने बताया कि मेले को लेकर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने सारे इंतजाम कर लिए हैं। मेला छह मार्च से शुरू होगा। इस दिन गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा नगर कीर्तन निकाला जाएगा। सात मार्च को खुले पंडाल में दीवान साहब लगेगा। इसी दिन रात को कवि दरबार सजेगा। आठ मार्च को निशान साहिब की सेवा की जाएगी। इसके बाद नगर परिषद नौ व 11 मार्च को तीन सांस्कृतिक संध्याएं आयोजित करेगी। 
 
 
बता दें कि हिमाचल-उत्तराखंड की सीमा पर यमुना नदी के किनारे बसे जिला सिरमौर का पांवटा साहिब शहर सिक्खों के लिए एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। पांवटा साहिब शहर व होला मोहल्ला का अपना एक इतिहास है। गुरु गोबिंद सिंह जी का यमुना नदी के तट पर बसाया नगर पांवटा साहिब इतिहास की कई महान घटनाओं को संजोए हुए है। एक तरफ जहां सिख धर्म के इतिहास में विशेष स्थान रखता है। तो दूसरी तरफ सिक्खों के गौरवमयी इतिहास की यादों को ताजा करता है। 
 
 
इस धरती पर पांवटा साहिब ही एक ऐसा नगर है जिसका नामकरण स्वयं गुरु गोबिंद सिंह जी ने किया है। गुरु गोबिंद सिंह जी साढ़े चार साल तक पांवटा साहिब में रहे। उन्होंने यहां रहकर बहुत से साहित्य तथा गुरुवाणी की रचनाएं भी की हैं। प्राचीन साहित्य का अनुभव और ज्ञान से भरी रचनाओं को सरल भाषा में बदलने का काम भी गुरु गोबिंद सिंह जी ने लेखकों से करवाया। 
 
 
गुरु गोबिंद सिंह जी ने यहां पर एक कवि दरबार स्थान की स्थापना की, जिसमें 52 भाषाओं के भिन्न-भिन्न कवि थे। गुरु गोबिंद सिंह जी पूर्णिमा की रात को एक विशेष कवि दरबार भी सजाया जाता था।