क्लस्टर विकास कार्यक्रम के तहत दो परियोजनाओं के विकास के लिए केंद्र ने स्वीकृत किये  22.29 करोड़ रुपये : जय राम ठाकुर

केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम मंत्रालय की राष्ट्रीय स्तर की संचालन समिति (एनएलएससी) ने क्लस्टर विकास कार्यक्रम (एमएससी-सीडीपी) के अन्तर्गत हिमाचल के लिए दो परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की हैं

क्लस्टर विकास कार्यक्रम के तहत दो परियोजनाओं के विकास के लिए केंद्र ने स्वीकृत किये  22.29 करोड़ रुपये : जय राम ठाकुर

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  25-06-2022

केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम मंत्रालय की राष्ट्रीय स्तर की संचालन समिति (एनएलएससी) ने क्लस्टर विकास कार्यक्रम (एमएससी-सीडीपी) के अन्तर्गत हिमाचल के लिए दो परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की हैं। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने इन परियोजनाओं को स्वीकृत करने के लिए केन्द्र सरकार का आभार व्यक्त किया है। 
 
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दोनों परियोजनाएं ऊना जिला की घानरी तहसील के जीतपुर बेहरी में तथा सोलन जिला के परवाणू के खादीन में औद्योगिक एस्टेट के उन्नयन के लिए स्वीकृत की गई हैं। इन दोनों परियोजनाओं की कुल लागत 22.29 करोड़ रुपये है। इसमें से केन्द्र सरकार का अनुदान 15.92 करोड़ रुपये और राज्य का योगदान 6.37 करोड़ रुपये होगा। 
 
 
उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं से राज्य में विनिर्माण ईकाइयों की दक्षता में वृद्धि होगी। केन्द्र सरकार का आभार व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश भारत में सबसे तेजी से बढ़ते औद्योगिक राज्यों में से एक के रूप में उभर रहा है और भारत की पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था के निर्माण में योगदान देने के लिए तत्पर है। उन्होंने कहा कि इस प्रयास में केन्द्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों से राज्य को सक्रिय सहयोग मिल रहा है। 
 
 
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने देश में एमएसएमई की उत्पादकता और प्रतिस्पर्धात्मकता के साथ-साथ क्षमता निर्माण बढ़ाने के लिए क्लस्टर विकास दृष्टिकोण की रणनीति अपनाई है। इससे उनकी सेवाओं को अधिक लाभ प्रदान करने में मदद मिलेगी और लागत में कमी के साथ एमएसएमई निर्माताओं के लिए सेवाओं की उपलब्धता में सुधार होगा। 
 
 
हिमाचल को इस योजना के अन्तर्गत चार बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं में से तीन के लिए अन्तिम स्वीकृति मिल चुकी है। इन परियोजनाओं में मौजूदा औद्योगिक क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे का विकास शामिल है, जिसमें सड़क, स्ट्रीट लाइटिंग और जल निकासी जैसी बुनियादी सुविधाएं शामिल हैं।