अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव, क्या है सात बहनों की कहानी जानिए रोचक किंवदंतियां..... 

अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव आने वाले देवी देवताओं को लेकर कई रोचक किंवदंतियां प्रचलित हैं। ये देवी-देवता मानवीय रिश्तों की डोर में बंधे हुए हैं। यहां आने वाले देवी देवताओं में कोई किसी का भाई है, तो कोई आपस में बहने

अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव, क्या है सात बहनों की कहानी जानिए रोचक किंवदंतियां..... 

यंगवार्ता न्यूज़ - मंडी     22-02-2023

अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव आने वाले देवी देवताओं को लेकर कई रोचक किंवदंतियां प्रचलित हैं। ये देवी-देवता मानवीय रिश्तों की डोर में बंधे हुए हैं। यहां आने वाले देवी देवताओं में कोई किसी का भाई है, तो कोई आपस में बहने हैं। सनोर-बदार क्षेत्र के देवी-देवताओं का राज दरबार में दखल रहा है, क्योंकि मंडी रियासत की शुरुआत बदार क्षेत्र के शिवाकोट से हुई थी। 

देव पराशर इस क्षेत्र के प्रमुख देवता हैं। शिवरात्रि महोत्सव के दौरान देव पराशर की सात बेटियां आपस में मिलती हैं। जिनमें से 6 बहनें बूढ़ी विचारण , कांडी घटासनी , सोना सिंहासन , देवी निसू पड़ासरी , देवी धारा नागन और मैहणी एक साथ पड्डल मैदान में बैठती हैं। जबकि एक बहन बगलामुखी पड्डल मैदान में नहीं आती है। जनश्रुतियों के अनुसार माता मैहणी इन सात बहनों में सबसे छोटी है, लेकिन बहनों ने इसे बड़ा दर्जा दे रखा है। 

कथा के अनुसार सात बहनें एक बार जंगल में गई थीं। जंगल में एक तिल का दाना मिलने पर छह बहनों ने उसे खा लिया और छोटी बहन को नहीं दिया। जब छोटी बहन को पता चला तो उसने तिल के दाने समते बहनों की शक्तियां भी छीन ली थीं, जिसके बाद शेष बहनों ने छोटी बहन को मनाया और सबसे बड़ा दर्जा दे दिया। 

मंडी जनपद में यह कहावत आज भी प्रचल्लित है। जब मां अपने बच्चों को कोई चीज आपस में बांटने के लिए कहती है, तो इन सात देवियों का उदाहरण दिया जाता है कि सात बहनों ने एक तिल का दाना आपस में बांटकर खाया था। सनोर -बदार क्षेत्र में जहां पर भी इन देवियों का स्थान वहां पर पराशर झील का पानी निकलता है। 

जिससे इन स्थानों का महत्व भी पराशर झील से कम नहीं है। यह भी कहा जाता है कि इन सातों देवियों के निवास स्थान पर पराशर ऋषि की झील से जो पानी निकलता है। वह इनके दादा पराशर ऋषि ने सबको वरदान स्वरूप प्रदान किया है।