अभी तक 3000 करोड़ का सेब बेच चुके हैं हिमाचल के बागवान , मार्केट में पहुंची 2.10 करोड़ पेटियां 

हिमाचल प्रदेश के बागवान अभी तक करीब 3000 करोड़ रुपए के सेब का बेच चुके हैं। राज्य के मार्केटिंग बोर्ड के अनुसार अब तक दो करोड़ पेटी से ज्यादा सेब राज्य से बाहर की मंडियों में भेज दिया गया है

अभी तक 3000 करोड़ का सेब बेच चुके हैं हिमाचल के बागवान , मार्केट में पहुंची 2.10 करोड़ पेटियां 

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  03-09-2022
 
हिमाचल प्रदेश के बागवान अभी तक करीब 3000 करोड़ रुपए के सेब का बेच चुके हैं। राज्य के मार्केटिंग बोर्ड के अनुसार अब तक दो करोड़ पेटी से ज्यादा सेब राज्य से बाहर की मंडियों में भेज दिया गया है। कोल्ड स्टोर द्वारा खरीदे गए सेब को मिलाकर लगभग 2.10 करोड़ पेटी सेब बागवान बेच चुके हैं। बागवानी अधिकारियों की मानें तो तकरीबन 60 प्रतिशत सेब सीजन खत्म हो गया है। अब सवा करोड़ से डेढ़ करोड़ पेटी के बीच सेब और होने का अनुमान है। 
 
 
इन दिनों 7500 फीट से अधिक ऊंचे क्षेत्रों का सेब मंडियों में आ रहा है। कुछ दिन बाद किन्नौर का सेब भी मंडियों में दस्तक देना शुरू करेगा। सेब के रेट में आई गिरावट ने बागवानों को चिंता में डाल दिया है। डेढ़ सप्ताह पहले तक उन्नत किस्म का जो सेब अधिकतम 2400 रुपए प्रति पेटी बिक रहा था। वह अब मुश्किल से 1700 रुपए प्रति बिक पा रहा है। इससे अब लागत निकाल पाना भी मुश्किल हो गया है।
 
 
रेट में गिरावट के लिए कुछ बागवान अदानी समेत दूसरे निजी घरानों को दोषी ठहरा रहे हैं तो कुछ इसे डिमांड और सप्लाई से जोड़कर देख रहे हैं। एपीएमसी के आंकड़ों पर गौर करें तो जिस लिहाज से रेट गिरे है, उतनी ज्यादा सप्लाई नहीं बढ़ी है। एक-आध दिन सप्लाई बढ़ी है, लेकिन इसका कारण बीते शनिवार को मंडियों का बंद रहना और बीच बीच में अदानी द्वारा सेब की खरीद बंद करना है। 
 
 
प्रोग्रेसिव ग्रोवर एसोसिएशन ( पीजीए ) के अध्यक्ष लोकेंद्र बिष्ट ने बताया कि डिमाड व सप्लाई के साथ साथ सेब के बाजार भाव जानबूझकर गिराए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिस दिन अदानी ने एक्स्ट्रा स्मॉल सेब के रेट 60 रुपए से 58 रुपए किए, उसके अगले ही दिन मंडियों में 2400 रुपए प्रति किलो तक बिकने वाला सेब लुढ़ककर 2000 रुपए तक गिर गया। चार से पांच दिन बाद अदानी ने फिर से 2 रुपए प्रति किलो एक्स्ट्रा स्मॉल सेब के कम किए। इसके बाद मंडियों में उन्नत किस्म का सेब अब मुश्किल से 1700 रुपए प्रति पेटी बिक पा रहा है। इससे मंडियों में सेब के औसत भाव मुश्किल से 1100 से 1400 रुपए मिल पा रहे हैं। 
 
 
यानी अब बागवान को लागत निकालनी भी मुश्किल हो गई है। प्रोग्रेसिव ग्रोवर हरि चंद रोच ने बताया कि सेब के भाव में गिरावट डिमांड और सप्लाई की वजह से हो रही है। इसे रेगुलेट करने के लिए सरकार को कानून बनाना चाहिए। उन्होंने सेब के बाजार भाव को नियंत्रित रखने के लिए सरकार से अधिक संख्या में कोल्ड स्टोर बनाने का आग्रह किया है ताकि बाजार भाव गिरने की सूरत में सेब को स्टोर में रखा जा सके और रेट बढ़ने पर बागवान इन्हें बाजार में बेच सके। 
 
प्रोग्रेसिव बागवान सुरेंद्र ठाकुर ने बताया कि सेब के रेट गिरने के लिए बागवान भी बराबर के दोषी है। उन्होंने बताया कि कुछ लोग पेटी में टॉप की दो-तीन लेयर में अच्छा सेब भरते हैं और नीचे की लेयर में निम्न क्वालिटी का सेब भरते है। इससे ख़रीददार को नुकसान होता है। बाद में ख़रीददार नुकसान की भरपाई के लिए सेब के रेट को गिराते है। उन्होंने सेब के रेट गिरने के लिए एपीएमसी को भी दोषी माना है। 
 
राज्य के मार्केटिंग बोर्ड के एमडी नरेश ठाकुर ने बताया कि 2 सितम्बर तक 1.98 करोड़ पेटी सेब ट्रेड कर लिया गया था। आज का सेब मिलाकर यह आंकड़ा दो करोड़ पार और निजी घरानों का सेब मिलाकर यह और ज्यादा हो जाएगा।