एसएफआई इकाई ने पीएचडी के अंदर बिना प्रवेश परीक्षा के दाखिलों को लेकर किया धरना प्रदर्शन
विश्वविद्यालय एसएफआई इकाई ने पीएचडी के अंदर बिना प्रवेश परीक्षा के हुए दाखिलों को लेकर धरना प्रदर्शन......
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 19-10-2021
विश्वविद्यालय एसएफआई इकाई ने पीएचडी के अंदर बिना प्रवेश परीक्षा के हुए दाखिलों को लेकर धरना प्रदर्शन किया। एसएफआई ने आरोप लगाया कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय लगातार भ्रष्टाचार का अखाड़ा बनता हुआ नजर आ रहा है और कुछ भ्रष्ट अधिकारी विश्वविद्यालय की साख को धूमिल करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे है।
विश्वविद्यालय के अंदर लगातार पीएचडी के अंदर अपने चहेतों को बैक डोर तरीके से भर्ती किया जा रहा है। जहां एक और आम छात्र के लिए पीएचडी में दाखिला लेने के लिए प्रवेश परीक्षा से होकर गुजरना पड़ता है या नेट जेआरएफ जैसी परीक्षा उत्तीर्ण करनी पड़ती है।
वही विश्वविद्यालय ने एक नया शिगूफा छोड़ते हुए विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के बच्चों को सिर्फ ₹100000 देकर बिना प्रवेश परीक्षा की पीएचडी में दाखिला दे दिया।
कैंपस अध्यक्ष विवेक राज ने कहा की इससे ज्यादा शर्मनाक बात विश्वविद्यालय के लिए नहीं हो सकती जहां एक और एक आम छात्र दिन रात एक कर के विषम परिस्थितियों के अंदर पीएचडी में दाखिला लेने के लिए भरसक प्रयास कर रहा है। उनको बिल्कुल दरकिनार करते हुए सिर्फ अपने चहेतों को दाखिला दे दिया और उसमे भी कोई विज्ञापन इन सीटों को लेकर जारी नहीं किया गया
कैंपस सचिव रॉकी ने कहा की विश्वविद्यालय प्रशासन ने भारी विरोध के बाद एक बचकाना स्पष्टीकरण जारी किया। जिसमें कहा कि इससे विश्वविद्यालय के निम्न वर्ग के कर्मचारियों के बच्चों को उच्च शिक्षा हासिल करने में सहायता मिलेगी।
बड़ी हैरानी की बात है कि PhD में दाखिला लेने के लिए वाइस चांसलर को भी निम्न श्रेणी के कर्मचारी में सम्मिलित कर दिया। एसएफआई ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय की रैंकिंग के अंदर गिरावट के लिए भी ऐसे ही भ्रष्ट अधिकारी और उनके कारनामे जिम्मेवार हैं और इसमें विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यप्रणाली पूरी तरह से चरमराई हुई है।
विश्व विद्यालय की 24 सेक्शन लाइब्रेरी को छात्रों के लिए बंद कर दिया है। इन सब मूलभूत मांगो से छात्रों का ध्यान भटकाने के लिए ऐसे तानाशाही और फिजूल के काम किए जा रहे हैं। एसएफआई ने मांग उठाई की छात्रों को प्रोत्साहित करने के बजाए विश्वविद्यालय प्रशासन उन्हें पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर कर रहा है।
अपने चहेतों को बिना किसी क्राइटेरिया के पीएचडी में दाखिले दे रहे हैं अगर इस फैसले को जल्द वापस नहीं लिया गया तो आने वाला समय के अंदर ये आंदोलन और उग्र होगा और भ्रष्ट अधिकारियों का घेराव किया जाएगा।