ओबीसी का अपमान करना कांग्रेस की फितरत : सुरेश कश्यप
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सांसद सुरेश कश्यप ने राहुल गाँधी के मोदी सरनेम वाले बयान को लेकर गुजरात हाईकोर्ट द्वारा राहुल गाँधी की याचिका को खारिज किये जाने के निर्णय को स्वागतयोग्य बताया
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 08-07-2023
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सांसद सुरेश कश्यप ने राहुल गाँधी के मोदी सरनेम वाले बयान को लेकर गुजरात हाईकोर्ट द्वारा राहुल गाँधी की याचिका को खारिज किये जाने के निर्णय को स्वागतयोग्य बताया। उन्होंने कहा कि मानहानि मामले में राहुल गांधी आदतन अपराधी हैं। गुजरात हाईकोर्ट ने सभी तथ्यों के मद्देनजर यह फैसला किया है।
ज्ञात हो किराहुल गांधी ने 2019 चुनाव में टिप्पणी की थी कि सारे चोरों के सरनेम मोदी क्यों होते हैं, इसको लेकर उनपर अदालत में सुनवाई चल रही थी जिसके संबंध में 23 मार्च 2023 को सूरत की सेशन कोर्ट ने राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई थी। इसी सजा के खिलाफ राहुल गाँधी गुजरात हाईकोर्ट पहुंचे थे लेकिन कोर्ट ने उनकी याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया।
राहुल गांधी ने 2019 के चुनाव में एक टिप्पणी की थी कि सारे चोरों के सरनेम मोदी क्यों होते हैं। देशभर में मोदी सरनेम अधिकांश पिछड़ों और अति पिछड़ों का होता है। ये घोर रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी थी।
कायदे के मुताबितक राहुल गांधी को कोर्ट में माफी मांगनी चाहिए थी लेकिन उन्होंने माफी नहीं माँगी। निचली अदालत ने उन्हें दो साल की सजा दी, जिसके खिलाफ वह सेशन कोर्ट गए। सेशन कोर्ट ने उन्हें बेल तो दे दी लेकिन दोषसिद्धि को स्टे नहीं किया। राहुल गांधी होमवर्क नहीं करते हैं।
कोर्ट ने माना कि मानहानि मामले में राहुल गांधी आदतन अपराधी (हैबिचुअल ऑफेंडर) हैं। यही नहीं, राहुल गांधी विदेशी धरती पर भी भारत के लोकतंत्र का अपमान करते हैं। भारतीय संवैधानिक संस्थाओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हैं। राहुल गांधी मीडिया पर आरोप लगाते हैं कि भारतीय मीडिया बिकी हुई है।
राहुल गांधी ने अपने प्रेसवार्ता के दौरान एक पत्रकार को भाजपा का समर्पित कार्यकर्ता तक बता दिया और उस पत्रकार को कमल छाप का बैच लगाने की बात तक डाली। राहुल गांधी यहीं तक नहीं रुके और अंत में उस पत्रकार से कहा कि तुम्हारी हेकड़ी निकल गयी?
राहुल गांधी जेएनयू जाकर टुकड़े-टुकड़े गैंग के साथ खड़े हो जाते हैं। भारतीय सेना अपमान करते हुए राहुल गांधी उन पर खूनी की दलाली का आरोप लगा देते हैं। राफेल विमान को लेकर राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गए और कई तरह के आरोप लगा दिया। किंतु सुप्रीम कोर्ट ने राफेल विमान की खरीद को जायज ठहराया।
इसके बाद राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की आलोचना की। जब सुप्रीम कोर्ट में उन पर अवमानना के मामले शुरू हुए तो राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ राहुल गांधी में इतना ज्यादा नफरत भरा है कि संघ को गांधी का हत्यारा कह दिया और इस मामले में उन पर मानहानि का मामला चल रहा है।
राहुल गांधी के खिलाफ सात-आठ मानहानि का ममला चल रहा है। मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी ने ओबीसी का सीधा अपमान किया है। कांग्रेस पार्टी से हम पूछते हैं कि राहुल गांधी को कंट्रोल क्यों नहीं कर सकते? उनको ठीकठाक बोलने की ट्रेनिंग क्यों नहीं दे सकते? अगर ओबीसी समुदाय को चोर कहने के मामले में वे माफी मांग लेते तो मामला खत्म हो जाता।
संस्थाओं और लोगों को अपमानित करना, बेइज्जत करना, उन्हें अपशब्द कहना राहुल गाँधी की फितरत है। राहुल गांधी यदि किसी को अपमानित करेंगे और गाली देंगे तो लोग न्याय का सहारा लेंगे ही, यह स्वभाविक है। मोदी सरनेम के लोग बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात सहित देश के विभिन्न हिस्सों रहते हैं, वे पिछड़े परिवार से आते हैं।
भारतीय जनता पार्टी राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि मामले में गुजरात हाईकोर्ट के निर्णय का स्वागत करती है। यह विधि सम्मत और उचित निर्णय है। राहुल गांधी के मानहानि केस में पूरे आचरण को भी नोटिस किया गया है। कोर्ट ने कहा कि राहुल गांधी के खिलाफ विभिन्न अदालतों में लगभग दस अपराधिक मामले लंबित हैं।
इस मामले में कोर्ट ने कहा कि परिस्थितियों के आलोक में सजा पर रोक लगाने का कोई विषय नहीं बनता है और सूरत कोर्ट के आदेश में कोई हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। ओबीसी का अपमान करना कांग्रेस की फितरत है। पिछड़ा वर्ग आयोग को जब संवैधानिक दर्जा दिया जा रहा था, तब कांग्रेस ने विरोध में टीका-टिप्पणी की थी।
राहुल गांधी जहां से लड़ते हैं, वहां से हार जाते हैं तो उसकी आलोचना करना शुरू कर देते हैं। आजकल राहुल गांधी अमेठी की आलोचना करते हैं। राहुल गांधी को जो मन भाये, वो ठीक है, जो नहीं भाये, वह गड़बड़ है। वोट नहीं मिला तो निर्वाचन आयोग गड़बड़ है।
मीडिया उनकी प्रशंसा नहीं करे, तो मीडिया बिकी हुई है। कोर्ट उनके मनमुताबिक निर्णय नहीं दे तो कोर्ट की आलोचना शुरू कर देते हैं। नेशनल हेराल्ड मामले को लेकर सदन के भीतर भी राहुल गांधी ने कोर्ट की आलोचना की थी, जब विरोध हुआ तो सॉरी कहा।