क्या हिमाचल से फिसल जायेगा एचपी-शिवा और एचडीपी प्रोजेक्ट, एक्सटेंशन से पहले ही केंद्र ने वापस भेजे लोन एग्रीमेंट

हिमाचल प्रदेश के बागवानी क्षेत्र के 2 बड़े प्रोजेक्ट सब-ट्रॉपिकल फ्रूट एवं इरिगेशन एंड वैल्यू एडिशन (एचपी-शिवा ) और हॉर्टीकल्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट ( एचडीपी ) पर केंद्र ने आपत्ति लगाकर वापस भेज दिया है। केंद्र ने ऑब्जर्वेशन के बाद बागवानी विभाग ने दोनों प्रोजेक्ट फाइनेंस डिपार्टमेंट की क्लीयरेंस को भेज दिए

क्या हिमाचल से फिसल जायेगा एचपी-शिवा और एचडीपी प्रोजेक्ट, एक्सटेंशन से पहले ही केंद्र ने वापस भेजे लोन एग्रीमेंट

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  24-03-2023

हिमाचल प्रदेश के बागवानी क्षेत्र के 2 बड़े प्रोजेक्ट सब-ट्रॉपिकल फ्रूट एवं इरिगेशन एंड वैल्यू एडिशन (एचपी-शिवा ) और हॉर्टीकल्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट ( एचडीपी ) पर केंद्र ने आपत्ति लगाकर वापस भेज दिया है। केंद्र ने ऑब्जर्वेशन के बाद बागवानी विभाग ने दोनों प्रोजेक्ट फाइनेंस डिपार्टमेंट की क्लीयरेंस को भेज दिए हैं। फाइनेंस की हरी झंडी मिलने के बाद दोनों प्रोजेक्ट केंद्र सरकार को भेजे जाएंगे।  एचपी-शिवा प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण में 1280 करोड़ रुपए का लोन एग्रीमेंट केंद्र सरकार, एडीबी (एशियन डवलपमेंट बैंक) और हिमाचल सरकार के बीच साइन होना है। 
 
 
राज्य सरकार ने 2 सप्ताह पहले ही यह प्रोजेक्ट केंद्र को भेजा था। इसी तरह 1134 करोड़ रुपए के एचडीपी प्रोजेक्ट की भी केंद्र से एक साल की एक्सटेंशन मांगी गई थी। वर्ल्ड बैंक द्वारा 2016 में मंजूर एचडीपी प्रोजेक्ट की अवधि जून 2023 में पूरी हो रही है, लेकिन राज्य सरकार अब तक इस प्रोजेक्ट का लगभग 30 प्रतिशत बजट खर्च नहीं कर पाई। लिहाजा इस प्रोजेक्ट को एक्सटेंशन के लिए लिखा गया था। केंद्र ने इन दोनों प्रोजेक्ट के एग्रीमेंट और एक्सटेंशन से पहले फाइनेंस डिपार्टमेंट से क्लीयरेंस लेने को बोला है, क्योंकि दोनों प्रोजेक्ट में 80:20 के अनुपात में लोन की फंडिंग है। 
 
 
लिहाजा जब 20 फीसदी लोन की क्लीयरेंस के लिए स्टेट के फाइनेंस डिपार्टमेंट से मंजूरी मिलेगी, उसके बाद ही केंद्र सरकार इन दोनों प्रोजेक्ट को लेकर एग्रीमेंट करेगी। एचडीपी प्रोजेक्ट के तहत ज्यादा ध्यान सेब की खेती पर फोकस है। प्रोजेक्ट के कार्यान्वयन के लिए कलस्टर बनाए गए हैं। इन क्लस्टर में सेब की हाई डेंसिटी प्लांटेशन के अलावा सोलर फेंसिंग, ड्रिप-इरिगेशन, उन्नत किस्म का प्लाटिंग मैटेरियल बागवानों को दिया जा रहा है। प्रोजेक्ट का मकसद उत्पादन को दोगुना कर बागवानों की आय को दोगुना करना है। 
 
 
प्रोजेक्ट के मकसद से 2017 से 2022 तक अमेरिका और इटली से लगभग 12 लाख विभिन्न किस्मों के सेब के पौधे व रूट स्टॉक आयात किए गए। अब उन्हें प्रोपोगेट करके बागवानों को दिया जा रहा है। इस बार बागवानी विभाग ने लगभग 20 लाख पौधे और रूट स्टॉक बागवानों को देने का लक्ष्य रखा है। शिवा परियोजना में फसल तैयार करने से लेकर मार्केटिंग तक का काम किया जा रहा है, यानी बगीचा लगाने के लिए प्लानिंग मैटेरियल देने, सिंचाई टैंक बनाने, ड्रिप-इरिगेशन लगाने, अच्छी मंडियां बनाने, फसल को जंगली जानवरों से बचाने के लिए फेंसिंग लगाने की व्यवस्था की गई है। 
 
 
 
बगीचों में सिंचाई की सुविधा के लिए टैंक बनाने का काम जल शक्ति महकमा कर रहा है। उत्पाद तैयार होने के बाद किसानों बागवानों को मार्केटिंग की भी सुविधा दी जा रही है। प्रोजेक्ट के फर्स्ट फेज में जिन 7 जिले सिरमौर, सोलन, बिलासपुर, कांगड़ा, मंडी, हमीरपुर और ऊना शामिल हैं। इनमें करीब 4320 हेक्टेयर क्षेत्र पर विभिन्न फलों के पौधे लगाए जाएंगे। पहले और दूसरे चरण में 4000-4000 हेक्टेयर क्षेत्र को विभिन्न फसलों के अधीन लाया जाएगा। इसी तरह कुल 190 सिंचाई योजनाएं बनाई जाएंगी।