कोरोना की नई वैक्सीन को सीडीएल की हरी झंडी , स्वदेशी नेजल मेडिसिन के करीब 7500 डोज अप्रूव

हिमाचल के जिला सोलन स्थित कसौली में केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला ( सीडीएल ) से भारत बॉयोटेक की इंट्रानेजल वैक्सीन इनकोवैक के 3 ओर बैच को परीक्षण कर पास कर दिया गया है, जिसमें लगभग 7500 के करीब डोज हैं

कोरोना की नई वैक्सीन को सीडीएल की हरी झंडी , स्वदेशी नेजल मेडिसिन के करीब 7500 डोज अप्रूव

यंगवार्ता न्यूज़ - सोलन  10-02-2023
 
हिमाचल के जिला सोलन स्थित कसौली में केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला ( सीडीएल ) से भारत बॉयोटेक की इंट्रानेजल वैक्सीन इनकोवैक के 3 ओर बैच को परीक्षण कर पास कर दिया गया है, जिसमें लगभग 7500 के करीब डोज हैं। भारत बायोटेक की स्वदेशी इंट्रा नेजल कोरोना वैक्सीन केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला कसौली के मानकों पर खरी उतरी है। कोरोना ने पूरी दुनिया में जो तबाही मचाई, उससे हर कोई वाकिफ हो चुका है। 
 
 
ऐसे में कोरोना के खिलाफ वैक्सीन को सबसे अहम हथियार माना जा रहा है। इससे पहले सीडीएल कसौली ने 25 जनवरी को इंट्रानेजल वैक्सीन के 3 बैच पास कर कंपनी को भेजे थे। जिसमें लगभग 7500 के करीब डोज थे। गौरतलब है कि जनवरी में इस कंपनी की कोविड विरोधी वैक्सीन के कुल 6 बैच जिसमें लगभग 15 हजार के करीब डोज थे, क्वालिटी और कंट्रोल टेस्ट के लिए सीडीएल कसौली पहुंचे थे , जिन्हें मंज़ूरी दी गई है। इस वैक्सीन को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने 26 जनवरी को दिल्ली से लांच किया था। 
 
 
नेजल वैक्सीन को ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ( डिसीजीएआई ) से आपात प्रयोग की मंजूरी मिलने के बाद कंपनी ने जनवरी में 6 बैच परीक्षण के लिए सीडीएल कसौली भेजे थे। खास बात यह है कि सीडीएल से मान्यता वाली यह पहली ऐसी वैक्सीन है जिसे नाक के जरिए दिया जाएगा। बता दें कि किसी भी दवा को भारतीय बाजार में उतारने से पहले सीडीएल कसौली से उसका पास होना आवश्यक है। जब तक दवा को लैब द्वारा पास नहीं किया जाता,तब तक दवा को भारत मे इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी जाती। 
 
 
भारत सरकार ने 23 दिसंबर को इस वैक्सीन की मंजूरी दी थी। गौर हो कि देश में निर्मित और आयात व निर्यात होने वाली वैक्सीन को बाजार में उतारने के लिए सीडीएल कसौली परीक्षण के बाद हरी झंडी देता है। इसी के साथ भारत में इंट्रा मस्कुलर कोरोना वैक्सीन के साथ-साथ अब नाक से ली जाने वाली वैक्सीन का उत्पादन भी शुरू हो गया है। खास बात यह है कि इस वैक्सीन से कोविड-19 के खिलाफ म्यूकोसेल इम्यूनिटी मिलती है। इस प्रयोगशाला में काम करने वाले वैज्ञानिक सही मायनों में कोरोना वॉरियर्स हैं। 
 
 
जो इस महामारी के समय न केवल खुद को सुरक्षित रखा है , अपितु प्रयोगशाला के संचालन में किसी भी प्रकार का गतिरोध उत्पन्न नहीं होने दिया। इस प्रयोगशाला के हर कर्मचारी वाकई बधाई के पात्र हैं। जिन्होंने ना केवल कोरोना वैक्सीन के परीक्षण को सुचारू रूप से चलाया। दूसरी वैक्सीन की रिलीज को भी नहीं रुकने दिया। जिससे सरकार द्वारा संचालित विभिन्न प्रतिरक्षण प्रोग्रामों को भी सफल बनाया जा सका।