यंगवार्ता न्यूज़ - केलांग 16-03-2023
लद्दाख की पहाड़ियां, घास का झुरमुट और उसमें चरती ब्लू शीप (पहाड़ी बकरियां)। उनसे कुछ दूरी पर घात लगाए बैठा दुर्लभ प्रजाति का स्नो लेपर्ड। अचानक हरकत हुई और पहाड़ की खतरनाक ढलान पर स्नो लेपर्ड दौड़ता दिखता है। महज 5 से 7 सेकेंड में लगभग एक किलोमीटर की दौड़ लगाकर अपने शिकार को झपट लेता है। इसके बाद वह आराम से वापस पहाड़ पर चढ़ने लगता है। 42 सेकेंड का यह दुर्लभ वीडियो लद्दाख के हेमिस शुपचेन के श्यापु नामक गांव का है। यह गांव कारगिल और लेह के बीच बसा हुआ है।
बेहद खतरनाक पहाड़ी ढलान पर ब्लू शीप (जिसे स्थानीय भाषा में भारल भी कहा जाता है) और स्नो लेपर्ड का यह वीडियो सामने की पहाड़ी पर मौजूद स्थानीय लोगों ने कैप्चर किया। पहाड़ की सीधी ढलान पर दौड़ लगाते ही घास खा रही 3 ब्लू शीप जान बचाने के लिए अलग-अलग दिशाओं में दौड़ती हैं। स्नो लेपर्ड पलक झपकते ही फैसला कर लेता है कि उसे तीनों ब्लू शीप में से किसका शिकार करना है। टारगेट चुनने के बाद उसके पीछे दौड़ते हुए वह पहाड़ी पर बैलेंस बिगड़ने से गिर भी जाता है, लेकिन अगले ही सेकेंड संभलते हुए फिर से शिकार के पीछे लग जाता है। जान बचाने के लिए पहाड़ की ढलान पर आड़ी-टेढ़ी दौड़ती ब्लू शीप भी बैलेंस खोकर नीचे सड़क पर गिर पड़ती है।
इससे पहले कि ब्लू शीप दोबारा उठ पाती, स्नो लेपर्ड उसकी गर्दन दबोच लेता है। शिकार को जबड़े में दबाकर वह तुरंत ही वापस पहाड़ पर चढ़ने लगता है। स्नो लेपर्ड बेहद दुर्लभ प्रजाति का जीव है। दुनियाभर के केवल 12 देशों में पाया जाता है। यह नॉर्थ और सेंट्रल एशिया के बर्फीले पहाड़ों पर ही मिलता है। भारत में जम्मू-काश्मीर, लद्दाख, लाहौल-स्पीति, किन्नौर, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के ऊंचाई वाले बर्फीले इलाके स्नो लेपर्ड के लिए सुरक्षित हैं। भारत के अलावा स्नो लेपर्ड पाकिस्तान के कुछ हिस्से, अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान, चीन, कजाकिस्तान, किर्गीस्तान, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और रूस-मंगोलिया के पहाड़ों पर नजर आ चुके हैं।
धारा 370 हटाने के बाद केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया। इनमें से लद्दाख ने स्नो लेपर्ड को अपना स्टेट एनिमल घोषित किया है। स्नो लेपर्ड बेहद शर्मीले स्वभाव का जानवर है। आम बोलचाल की भाषा में इसे पहाड़ों का भूत भी कहा जाता है। दरअसल शर्मीले स्वभाव और खाल के रंग के कारण इसे पहाड़ों पर देख पाना आसान नहीं होता।
पहाड़ों के बर्फ से ढक जाने पर जरूर दिख जाता है। भारत में स्नो लेपर्ड की घटती संख्या को देखते हुए सरकार इसे दुर्लभ प्रजाति के जानवरों में शामिल कर चुकी है। स्नो लेपर्ड के संरक्षण के लिए वर्ष 2003 में द स्नो लेपर्ड कंजरवेंसी इंडिया ट्रस्ट भी बनाया गया था। भारत में स्नो लेपर्ड की संख्या और उससे जुड़े दूसरे डेटा को इकट्ठा करने की जिम्मेदारी जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पास है।