यंगवार्ता न्यूज़ - सोलन 27-04-2022
एससीईआरटी सोलन के एनसीईआरटी नई दिल्ली के सौजन्य से राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ( एनसीएफ ) पर एक दिवसीय जिला स्तरीय विमर्श बैठक ( डीएलसी ) का आयोजन किया। इसमें नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क ( राष्ट्रीय पाठ्यचर्या) राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर विस्तार से मंथन किया गया। इसमें सोलन, शिमला व सिरमौर जिला के 82 प्रतिभागियों ने भाग लिया। जिला स्तरीय विमर्श बैठक का शुभारंभ एससीईआरटी सोलन की प्रिंसिपल व डीएलसी की निदेशक प्रो. रीता शर्मा ने किया।
इस मौके पर नोडल ऑफिसर एनसीईआरटी नई दिल्ली की प्रो. जया सिंह और प्रो. मिली रॉय आनंद और आरआईई अजमेर के डॉ. वेदप्रकाश आर्य ने विशेष रूप से भाग लिया। एससीईआरटी सोलन की प्रिंसिपल प्रो.रीता शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत नया करिकुलम फ्रेमवर्क तैयार किया जाना है। इसमें बचपन की देखभाल और शिक्षा पर विशेष बल दिया गया है। स्कूल पाठ्यक्रम के दस जमा दो ढांचे की जगह 5+3 +3 +4 का नया पाठ्यक्रम संरचना लागू किया जाएगा। इससे तीन साल का बच्चा स्कूल में आ जाएगा।
बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान की प्राप्ति को सही ढंग से सीखने पर जोर रहेगा। छठी कक्षा से ही स्किल एजुकेशन शुरू की जाएगी। स्कूल के पाठ्यक्रम और अध्यापन कला का लक्ष्य यह होगा कि 21 वीं सदी के प्रमुख कौशल या व्यवहारिक जानकारी से विद्यार्थी को होनी चाहिए ताकि उनका समग्र विकास किया जा सकें। इसमें स्कूल एजुकेशन ग्रुप-1 की ग्रुप लीडर वीना ठाकुर , स्कूल एजुकेशन ग्रुप-2 के पंकज शर्मा, टीचर एजूकेशन ग्रुप-3 के डॉ. हेमंत शांडिल, ग्रुप -4 पौढ़ शिक्षा के डॉ. नरेंद्र वर्मा और ग्रुप -5 ईसीसीई की रंजना कुमारी ग्रुप लीडर थी।
इसमें रिपोर्टर का कार्य डॉ. साक्षी चौहान, निधि शर्मा, संजय ठाकुर,बलदेव नेगी व निशा चौहान ने किया। एससीईआरटी सोलन के स्टेट नोडल ऑफिसर ( एससीएफ ) जगदेव चंद शर्मा ने बताया कि डीएलसी से पूर्व एससीईआरटी ने प्रदेश के 132 शिक्षा खंडों में मोबाइल सर्वे करवाया। इसमें 3315 लोगों ने भाग लिया। इसके बाद 25 पोजीशन पेपर तैयार किए गए। 25 फोकस ग्रुप तैयार किए। इस कार्य को अमलीजामा पहनाने के लिए स्टेट टेक्निकल टीम है, जिसमें एनसीईआरटी के जगदेव चंद शर्मा, रंजना कुमारी शर्मा, कुसुम शर्मा के अलावा कंप्यूटर के लेक्चरर इंद्र सिंह ठाकुर व डाइट सोलन के गोविंद ठाकुर शामिल है।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें बुनियादी शिक्षा को मजबूत करने की दिशा में काम किया जा रहा है। प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) के लिए तीन वर्ष और उससे आगे की शिक्षा 21वीं सदी की चुनौतियों, समय की मांग, टेक्नोलॉजी और भारतीय मूल्यों पर आधारित शिक्षा पर करिकुलम फ्रेमवर्क तैयार किया जा रहा है। इसमें चार करिकुलम पर विशेष बल दिया जा रहा है। पहला ईसीसीई, दूसरा स्कूल एजुकेशन , तीसरा टीचर एजूकेशन और चौथा प्रौढ़ शिक्षा।
इन चार बिंदुओं पर पाठ्यचर्या तैयार की जाएगी। साथ ही मातृभाषा / स्थानीय भाषा / क्षेत्रीय भाषा को ही शिक्षा का माध्यम रखने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। डॉ. शर्मा ने बताया कि इस एक दिवसीय जिला स्तरीय विमर्श बैठक में छात्र, अभिभावक, आंगनबाड़ी, समुदाय के अन्य लोगों के अलावा टीचर (स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी), स्कूल प्रिंसिपल, डाइट प्रिंसिपल समेत अन्यों ने भाग लिया।