प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की आजीविका के लिए वरदान साबित हुई मशरूम की खेती
प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की आजीविका के लिए मशरूम की खेती एक वरदान साबित हो रही है। जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 24-12-2022
प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की आजीविका के लिए मशरूम की खेती एक वरदान साबित हो रही है। जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआईसीए) द्वारा वित्त पोषित प्रदेश वन पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन एवं आजीविका सुधार परियोजना का प्रदेश के सात जिलों में कार्यान्वयन किया जा रहा है।
परियोजना के सहयोग से ग्राम वन विकास समितियों के स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की सामुदायिक आजीविका बढ़ाने के लिए 24 आय सृजन गतिविधियों की पहचान की गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में महिला स्वयं सहायता समूह अपनी आजीविका के लिए प्रौद्योगिकी संचालित आय सृजन गतिविधियों को अपना रही है।
इसी वर्ष नवंबर माह में शिमला शहर के उपनगरों में घणाहट्टी के समीप ग्राम कंडा में एकता महिला स्वयं सहायता समूह को उनके गांव में जाइका वानिकी परियोजना के कर्मचारियों और विशेषज्ञों द्वारा बटन मशरूम की खेती के लिए उन्मुख किया गया था।
समूह ने किराए के कमरे में 10 किलोग्राम के 245 बीज वाले कम्पोस्ट बैग के साथ बटन मशरूम का उत्पादन शुरू किया। बटन मशरूम के उत्पादन में स्वयं सहायता समूह की महिला सदस्यों के लिए परियोजना के विशेषज्ञों द्वारा दिन-प्रतिदिन तकनीकी सहायता प्रदान की गई।
25 दिनों के बाद बटन मशरूम का उत्पादन शुरू हुआ और एक सप्ताह में समूह ने 200 किलोग्राम मशरूम का विपणन किया, जो एक सप्ताह में 20000 रुपए से अधिक की सकल वापसी के साथ 110-130 रुपए प्रति किलोग्राम की कीमत पर मिल रहा है।