बारिश न होने के कारण गेहूं की फसल सूखने की कगार पर, किसान चिंतित
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 24-02-2021
प्रदेश में सूखे के कारण गेहूं की फसल सूखने की कगार पर पहुंच गई है। कृषकों की कड़ी मेहनत पर पानी फिर गया है। किसानों ने बीडर बौर फाउंडेशन बीज उपयोग किया था। बारिश न होने के कारण किसानों को बीज के बदले बीज भी नसीब नहीं होगा। इससे प्रदेश के किसान आहत हो गए हैं।
इस बाबत हिमाचल किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष सुंका राम ठाकुर, राज्य महासचिव सीता राम वर्मा, मंडी के प्रधान भूप सिंह, महासचिव दुनी चंद शर्मा, चंबा के प्रधान नीना ठाकुर, कांगड़ा के प्रधान प्रीतम भारती, ऊना से शिव कुमार धीमान, कुल्लू से कमलेश कुमार, बीना ठाकुर, लाहुल-स्पीति के प्रधान गुरदास, शिमला के प्रधान दुर्गा दास, सिरमौर से धर्मदास कश्यप, किशोरी लाल चोपड़ा, सोलन से ओम प्रकाश रावत, बिलासपुर से सोहल सिंह पटियाल, बीडी शर्मा, उपप्रधान बीडी लखनपाल, संगठन सचिव एवं खेतों के वैज्ञानिक परमा राम चौधरी ने कहा है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, राजस्व सचिव एवं कृषि निदेशक डा नरेश कुमार से मांग की है कि किसानों को मुआवजा दिया जाए।
किसान नेताओं ने स्पष्ट किया है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा करवाने पर भी मुआवजा नहीं मिलता है। इससे पूर्व मंडी जिला में 2016-17 के दौरान गेंहू की फसल का 90 प्रतिशत किसानों ने बीमा करवाया था।<a href=""><img src="https://www.youngvarta.com/uploads/blocks/block_6033d5d2cad5d.jpg" alt=""></a>
इस दौरान करीब 35 हजार किसानों ने बीमा करवाया था, लेकिन इसमें केवल 1076 किसानों को बीमा का लाभ मिला, जबकि अन्य किसान सरकार की तरफ मुंह ताकते रह गए। वहीं बीमा कंपनियां मालोमाल हो गई।
इसके चलते प्रदेश में किसानों से प्रधानमंत्री बीमा योजना से किनारा कर लिया है। सीता राम वर्मा ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि प्राकृतिक राहत मैनुअल के अनुसार कृषकों को मुआवजा देने की जल्द प्रक्रिया शुरू की जाए।
राज्य महासचिव सीता राम वर्मा सहित अन्य सदस्यों ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि प्रदेश के सभी उपायुक्तों, कृषि उपनिदेशकों को सूखे ग्रसित फसल का आकलन करने के निर्देश दिए जाएं। प्रदेश को सूखा ग्रसित घोषित कर किसानों को मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू की जाए।