हिमाचल के सरकारी स्कूलों में स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान और इतिहास को पढ़ेंगे विद्यार्थी

हिमाचल प्रदेश के विद्यार्थी अब हिमाचल के स्वतंत्रता सेनानियों का इतिहास और आजादी की जंग में उनके योगदान को भी पढ़ेंगे

हिमाचल के सरकारी स्कूलों में स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान और इतिहास को पढ़ेंगे विद्यार्थी

यंगवार्ता न्यूज़ - धर्मशाला    14-05-2022

हिमाचल प्रदेश के विद्यार्थी अब हिमाचल के स्वतंत्रता सेनानियों का इतिहास और आजादी की जंग में उनके योगदान को भी पढ़ेंगे। इसके लिए स्कूल शिक्षा बोर्ड पाठ्य पुस्तक स्वतंत्रता संग्राम में संशोधन करेगा और इसमें हिमाचल के स्वतंत्रता सेनानियों के अध्यायों को जोड़ा जाएगा। 

बोर्ड ने इस पाठ्यक्रम संशोधन का पूरा खाका तैयार कर लिया है और अगले सप्ताह प्रदेश सरकार के साथ इस संबंध में बैठक प्रस्तावित है। सरकार से मंजूरी मिलते ही शैक्षणिक सत्र 2023-24 में छठी से 10वीं कक्षा तक स्वतंत्रता सेनानियों का इतिहास विद्यार्थियों को पढ़ाया जाएगा। बोर्ड पाठ्य पुस्तक स्वतंत्रता संग्राम में संशोधन करने जा रहा है।

इस संशोधन में पुस्तक से कई विषयों को हटाया जाएगा और उनके स्थान पर हिमाचली स्वतंत्रता सेनानियों के इतिहास को जोड़ा जाएगा। उन स्वतंत्रता सेनानियों के इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम में उनकी ओर से दिए गए योगदान को दर्शाया जाएगा। 

विद्यार्थी हिमाचल के उन स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में भी पढ़ सकेंगे, जो स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास से या तो गायब हो चुके हैं या फिर उनके बारे में बहुत कम जानकारी किताब में है। 

हिमाचल प्रदेश से बाबा कांशी राम, वीर राम सिंह पठानिया और कंवर सिंह सहित ऐसे कई स्वतंत्रता सेनानी हैं, जिनके बारे में आज की युवा पीढ़ी बहुत कम जानती है। इनकी ओर से दिए गए योगदान को स्कूलों में बहुत कम पढ़ाया गया है। 

स्वतंत्रता संग्राम पाठ्य पुस्तक में स्कूल शिक्षा बोर्ड संशोधन करने जा रहा है। अब किताब में हिमाचल से संबंधित स्वतंत्रता सेनानियों के इतिहास और देश को आजादी दिलाने में दिए गए उनके योगदान को शामिल किया जाएगा। पाठ्यक्रम का खाका तैयार कर लिया गया है। 

प्रदेश सरकार के साथ जल्द ही इस मामले को लेकर एक बैठक प्रस्तावित है। अगर सरकार से पाठ्यक्रम में बदलाव को मंजूरी मिल जाती है तो अगले शैक्षणिक सत्र से इसे स्कूलों में पढ़ाया जाएगा। - डॉ. सुरेश कुमार सोनी, अध्यक्ष, स्कूल शिक्षा बोर्ड, धर्मशाला।