हिमाचल प्रदेश के पांच शक्तिपीठों में नवरात्र के दौरान डेढ़ करोड़ का चढ़ा चढ़ावा

हिमाचल प्रदेश के पांच शक्तिपीठों में नवरात्र के दौरान डेढ़ करोड़ का चढ़ा चढ़ावा

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला   30-04-2021

चैत्र नवरात्रों के दौरान हिमाचल प्रदेश के पांचों शक्तिपीठों में खूब धनवर्षा हुई। वर्ष 2020 में मार्च में लगे लॉकडाउन के कारण शक्तिपीठों के कपाट बंद कर दिए गए थे।

इस कारण चैत्र नवरात्र मेले नहीं हो पाए थे, लेकिन इस साल चैत्र मेलों के दौरान श्रद्धालुओं ने शक्तिपीठों में दिल खोलकर चढ़ावा चढ़ाया है। 

श्री बज्रेश्वरी देवी, श्री ज्वालामुखी, श्री नयनादेवी, श्री चामुंडा देवी तथा श्री छिन्नमस्तिका धाम चिंतपूर्णी में मां के चरणों में श्रद्धालुओं ने एक करोड़ 59 लाख 86 हजार 318 रुपये अर्पित किए हैं। 

इसके अलावा नौ दिनों में 287 ग्राम 173 मिलीग्राम सोना और 16 किलो 758 ग्राम चांदी भी चढ़ावे के रूप में मिली है। मंदिर न्यास श्री नयना देवी में सबसे अधिक चढ़ावा चढ़ा है। 13 से 21 अप्रैल तक 61 लाख 69 हजार 400 रुपये का चढ़ावा प्राप्त हुआ है।

मंदिर अधिकारी हुस्न चंद ने बताया कि श्रद्धालुओं ने 167 ग्राम 900 मिलीग्राम सोना व सात किलो 455 ग्राम चांदी मां के चरणों में अर्पित की है। ज्वालामुखी में 34 लाख 46 हजार 120 रुपये का चढ़ावा चढ़ा है। 

मंदिर अधिकारी निर्मल सिंह ने बताया कि श्रद्धालुओं ने 62 ग्राम 500 मिलीग्राम सोना व दो किलो 598 ग्राम चांदी भी चढ़ाई है। मंदिर न्यास को यूएसए के 52 डॉलर, कनाडा के 20 डॉलर तथा 20 यूरो चढ़ावे के रूप में मिले हैं। 

मंदिर न्यास चिंतपूर्णी को चैत्र नवरात्रों में 41 लाख 32 हजार 302 रुपये चढ़ावे के रूप में मिले हैं। मंदिर अधिकारी अभिषेक भास्कर ने बताया कि 31 ग्राम सोना व तीन किलो 713 ग्राम चांदी भी चढ़ावे के रूप में मिली है। 

मंदिर न्यास को 215 डॉलर यूएसए, पांच ऑस्ट्रेलिया के डॉलर, पांच पौंड इंग्लैंड, 18 यूरो चढ़ावे के रूप में मिले हैं। श्री चामुंडा देवी मंदिर में सात लाख 99 हजार 213 रुपये का चढ़ावा चढ़ा है। 

मंदिर अधिकारी अपूर्व शर्मा ने बताया कि 13 ग्राम 970 मिलीग्राम सोना व 366 ग्राम चांदी श्रद्धालुओं ने मां के चरणों को अर्पित की है। 

श्री ब्रजेश्वरी देवी मंदिर में 14 लाख 39 हजार 283 रुपये का चढ़ावा मिला है। मंदिर अधिकारी दलजीत शर्मा ने बताया कि 11 ग्राम 803 मिलीग्राम सोना व दो किलो 626 ग्राम चांदी मंदिर न्यास को चढ़ावे के रूप में मिली है।