हिमाचल में अब चाय बागानों के नाम पर नहीं बेची जा सकेगी हजारों एकड़ जमीन  

हिमाचल में अब चाय बागानों के नाम पर नहीं बेची जा सकेगी हजारों एकड़ जमीन  

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला   25-05-2021

हिमाचल प्रदेश में अब चाय बागानों के नाम पर हजारों एकड़ जमीन नहीं बेची जा सकेगी। वर्तमान में प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में चाय बागानों की 2000 हजार बीघा भूमि का उपयोग बदलकर बेच दी है, जबकि यह नियमों और कायदों के खिलाफ है। 

मंत्रिमंडल ने इस संबंध में पूर्व में किए संशोधनों को वापस लेकर चाय बागानों की जमीन का लैंड यूज बदल कर बेचने की प्रथा पर नकेल कसने का फैसला लिया है। 

प्रदेश में लैंड सीलिंग एक्ट के दायरे से चाय बागानों की भूमि को बाहर रखा गया था। अन्य निजी भूमि की सीमा तय कर दी। कोई भी व्यक्ति तय सीमा से अधिक अपने पास जमीन नहीं रख सकता था। 

यह कदम भूमिहीनों और गरीबों को जमीन देने के लिए उठाया गया था। चाय बागानों की सीमा इसलिए नहीं रखी गई थी, क्योंकि इन बागों को विकसित करने के लिए ज्यादा जमीन कीजरूरत रहती है।  

पूर्व सरकार के सत्ता में रहते हुए चाय बागानों का लैंड यूज बदलकर जमीन बेची गई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार करीब दो हजार बीघा जमीन का लैंड यूज बदलकर बेची जा चुकी है। 

इसके अलावा काफी जमीन अवैध रूप से भी बेची गई है। पालमपुर में करीब 20 लाख रुपये प्रति बिस्वा तक जमीन का रेट है। चाय बागानों के नाम जमीन न बिक सके, इसके लिएसरकार पुराने संशोधनों को वापस लेगी।

प्रदेश के राजस्व, जलशक्ति एवं बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह कहते हैं कि करीब दो हजार बीघा जमीन की लैंड यूज बदल कर चाय बागानों की जमीन बेची गई है।

अवैध रूप से भी चाय बागानों की जमीन का सौदा किया गया है। इन चाय बागानों की जमीन न बिके, इसके लिए लैंज सीलिंग एक्ट में संशोधन वापस लेंगे।