जब अधिकारी नही सुनते तो इस्तीफा दें ऊर्जा मंत्री सुखराम : किरनेश जंग

जब अधिकारी नही सुनते तो इस्तीफा दें ऊर्जा मंत्री सुखराम : किरनेश जंग

अंकिता नेगी - पांवटा साहिब  06-04-2021

पांवटा साहिब में मंगलवार को विश्राम गृह में ब्लोक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अश्वनी शर्मा व पूर्व विधायक क्रिनेश जंग ने आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि ऊर्जा मंत्री को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

प्रेस वार्ता में कांग्रेस के अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने ऊर्जा मंत्री सुखराम चोधरी पर तंज कसते हुए कहा कि पांवटा साहिब में ऊर्जा मंत्री होने के बावजूद भी ऊर्जा गायब है बिजली भी लुक्का छिप्पी का खेल खेलने लगी है।

हालांकि उन्होंने कई विकासात्मक कार्यों के मुद्दे उठाते हुए कहा कि जब पांवटा के ऊर्जा मंत्री यहां की जनता की समस्या का समाधान नही कर सकते तो प्रदेश कोसों दूर है। कांग्रेस नेता ने बरसकर कहा कि आप अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं ।

पूर्व विधायक ने भाजपा की सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सैकड़ों हैंडपम्प लगने के बावजूद भी पानी ठप है और ये सिर्फ इसलिए क्योंकि ऊर्जा मंत्री की व्यवस्थाएं खराब हैं ।

उन्होंने कहा कि ऊर्जा मंत्री सिर्फ विकास के फंड बताते हैं लेकिन धरातल की स्थिति कुछ और ही है। उनका कहना है कि सड़कों की दयनीय स्थिति है। सड़कों की सही करवाने के लिए सिर्फ फंड बताया जाता है ।

क्रिनेश जंग ने कहा कि 42 करोड़ पुल के लिए आए थे लेकिन उसकी स्थिति अभी भी ज्यों की त्यों है इसके लिये भी डीपीआर कांग्रेस के कार्यकाल में बनी,उन्होंने बताया कि भले ही नीति आयोग की तरफ से उस समय पैंसा न आया हो,बताया कि मेजर डिस्ट्रिक्ट भंगानी की रोड का भी खस्ताहाल है जहां धूल मिट्टी से आमजन परेशान हैं।

जहां मंत्री का पुलिस के ऊपर नही कोई कंट्रोल नही है उनका साफ तौर पर कहना है कि  सुखराम चौधरी जब मंत्री पद के हिसाब से कार्य नही कर रहे तो अपने पद से इस्तीफा दे दे।

प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए सँयुक्त किसान मोर्चा सयोंजक तरसेम सिंह सग्गी ने कहा कि पांवटा की बदहाल व्यवस्था किसी से छुपी नही है। वहीं किसानों का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा  की किसानों को  उनके हक नही दिया जाये।

वहीं तरसेम सिंह सग्गी ने कहा कि स्वास्थ्य सहित सड़कों की व्यवस्था सिर्फ  कांग्रेस पार्टी ही सुधार सकती है। क्रिनेश जंग ने सम्बोधन के दौरान कहा कि 2.5 करोड़ पैंसा यमुना चेनेलाइज का आ गया है और यह बहराल से लेकर खोदरी माजरी तक होना है ताकि किसानों की भूमि बचाई जा सकी।