सब आगे बढ़ गए पानी कुएं से पी पी कर, मैं प्यासा मरता रहा रस्सियां बनाने में
कविता को तब तक न लिखे जब तक वो आपको लिखने के लिए बैचेन न कर दे और आपके पास उसे लिखने के सिवा कोई दूसरा चारा न बचे..। यह बात हिमाचल के चर्चित कवि प्रदीप सैनी ने नाहन में कलाधारा संस्था की ओर से आयोजित कवि सम्मेलन में कही
कलाधारा संस्था ने भाषा विभाग के सहयोग से नाहन में करवाया कवि सम्मेलन
पूर्व विधायक अजय बहादुर रहे मुख्य अतिथि, चर्चित कवि प्रदीप सैनी रहे अध्यक्ष
यंगवार्ता न्यूज़ - नाहन 08-01-2023
कविता को तब तक न लिखे जब तक वो आपको लिखने के लिए बैचेन न कर दे और आपके पास उसे लिखने के सिवा कोई दूसरा चारा न बचे..। यह बात हिमाचल के चर्चित कवि प्रदीप सैनी ने नाहन में कलाधारा संस्था की ओर से आयोजित कवि सम्मेलन में कही। उन्होंने कहा जब अंदर से लावा फूटेगा तब कविता बाहर निकलेगी।
कवि सम्मेलन में पूर्व विधायक व कला पारखी कंवर अजय बहादुर ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। जबकि हिंदी कविता के चर्चित कवि प्रदीप सैनी ने सम्मेलन की अध्यक्षता की। इस दौरान जिला भाषा अधिकारी कांता नेगी विशेष रूप से मौजूद रहीं। मंच का संचालन युवा कवि पंकज तन्हा ने किया।
भाषा एवं संस्कृति विभाग के सौजन्य से कलाधारा द्वारा आयोजित इस कवि सम्मेलन में तीन दर्जन कवियों ने कविता पाठ किया। युवा शायर जावेद उल्फत ने तुम्हारे ख्वाब तल्क सीढिय़ां बनाने में, मैं नींद नींद जागा खिड़कियां बनाने में, सब आगे बढ़ गए पानी कुएं से पी पी कर, मैं प्यासा मरता रहा रस्सियां बनाने में.., गजल सुना खूब तालियां बटोरीं।
ददाहू से आए अनंत आलोक ने बेरी को झाड़ी कहे, आओ चुन लो बेर, भ्वाल-बाल खाने लगे, जरदा और कुबेर.., दोहा सुनाकर दाद पाई। शायर दीप राज विश्वास ने ले के अपना हुनर जाने दो, जिसको जाना है दूर जाने दो.., दीप चंद कौशल ने कभी ऐसा वक्त भी आए जो, हर वक्त तू मेरे साथ हो.., गीत से समां बांधा।
हिमाचल के चर्चित कवि प्रदीप सैनी ने किवाड़ खोलो, देखो कि अनजान कुत्ते ने, तुम्हारी दहलीज से, दोस्ती कर ली है.., एक के बाद एक कई कविता सुनाकर खूब रंग जमाया। सतौन से आई युवा श्रीया ने दब जाना एक गुण है, उनके हिसाब से जो अवगुणों से भरे हैं..,
नासिर यूसुफजई ने हम फकीरों के वास्ते नासिर, इश्क चांदी है, इश्क सोना है.., शेर से दाद पाई। सैनवाला से कवि चिर आनंद ने जिन रस्तों से गुजरे तुमको एक जमाना बीत गया, हम पूछें या ना पूछें, वो तेरा पता बताते हैं.., कविता सुनाकर समां बांधा। मुख्य अतिथि कंवर अजय बहादुर ने कवियों से विचारों की दृष्टि से खुद को बंधन मुक्त रखने का आह्वान किया।
कार्यक्रम के दौरान जय गोपाल धीमान, अनिल शर्मा, नरेंद्र छिंटा, हमेराज राणा, ईश्वर दास राही, मीनाक्षी वर्मा, धनवीर परमार, अर्चना चौहान, लायक राम शास्त्री, शून्य विनोद, सरला गौतम, साधना शर्मा, अनुदीप शर्मा, मोहम्मद क्यूम, आशिक अली, गीताराम तोमर, उषा सूर्यवंशी, लाल सिंह आदि ने कविता पाठ किया।