समय पर एम्बुलेंस मिलती तो बच जाती कोरोना मरीज की जान , इमरजेंसी में मेकशिफ्ट अस्पताल किया था शिफ्ट
व्यवस्थाओं पर जब लापरवाही की काई जम जाए तो ये इंसानी जिंदगी पर किस कद्र भारी पड़ती हैं इसकी बानगी देखिए।
यंगवार्ता न्यूज़ - ऊना 23-01-2022
व्यवस्थाओं पर जब लापरवाही की काई जम जाए तो ये इंसानी जिंदगी पर किस कद्र भारी पड़ती हैं इसकी बानगी देखिए। सिविल अस्पताल अंब में सांस लेने में दिक्कत के साथ आई एक महिला मरीज का जब रैपिड एंटीजन टेस्ट किया गया तो वह कोरोना पॉजिटिव पाई गई और जब उसके ब्लड ऑक्सीजन लेवल की जांच की गई को वह सत्तर प्रतिशत आया।
इसके बाद जब उसे इमरजेंसी में मेकशिफ्ट अस्पताल पालकवाह शिफ्ट करने की बारी आई तो एंबुलेंस सेवा में अस्पताल प्रशासन द्वारा बार-बार फोन करने पर भी किसी ने फोन नहीं उठाया। समय पर एंबुलेंस न पहुंच पाने के कारण महिला को शिफ्ट नहीं किया जा सका और उसने अस्पताल में ही दम तोड़ दिया।
सिविल अस्पताल चिंतपूर्णी में भी समय पर एक मरीज के शिफ्ट न कर पाने के चलते उसने भी अस्पताल में ही दम तोड़ दिया। हालांकि खंड चिकित्सा अधिकारी ने अब इसका कड़ा संज्ञान लिया है और इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से की है।
वहीं, कोरोना की चपेट में आने के बाद लोग बिना उपचार ही मर रहे हैं, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान ही नहीं है। हालांकि कोरोना वायरस की पहली व दूसरी लहर में तो प्रदेश सरकार ने खूब तत्परता दिखाई। लेकिन तीसरी लहर में जिस प्रकार लापरवाही बरती जा रही है और किसी दूसरे की गलती के चलते कोरोना पॉजिटिव मरीज बिना उपचार मिले ही दम तोड़ रहे हैं यह अपने आप में गंभीर विषय है।
शुक्रवार को भी उपमंडल अंब के सूहीं गांव की एक 70 वर्षीय महिला गंभीर अवस्था में सिविल अस्पताल अंब पहुंची तो डॉक्टरों ने पहले उसका रैपिड एंटीजन टेस्ट करवाया। रैपिड टेस्ट में वह कोरोना पॉजिटिव पाई गई और उसका ऑक्सीजन लेवल भी 70 प्रतिशत पाया गया। इस पर उसे तत्काल उपचार के लिए मेक शिफ्ट अस्पताल शिफ्ट करना लाजिमी था।
सिविल अस्पताल प्रशासन लगातार 108 एंबुलेंस सेवा से संपर्क करता रहा, लेकिन वहां किसी ने फोन ही नहीं उठाया। नतीजतन महिला सिविल अस्पताल में ही बिना उपचार के ही दम तोड़ गई। यह 108 एंबुलेंस सेवा की लापरवाही का कोई पहला मामला नहीं था बल्कि इससे पहले शुक्रवार को भी सिविल अस्पताल चिंतपूर्णी में धर्मसाल महंतां की एक 75 वर्षीय महिला के कोरोना की चपेट में आ जाने से समय पर एंबुलेंस न मिलने से बिना उपचार के ही अस्पताल में मौत हो गई।
हैरत की बात यह है कि हाल ही में प्रदेश सरकार की केंद्र सरकार ने शत प्रतिशत कोरोना वैक्सीन के लिए पीठ थपथपाई लेकिन धर्मसाल महंतां की महिला नान वैक्सीनेटेड थी। जबकि सुईं गांव की महिला को दोनों डोज लगीं थीं।
खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजीव गर्ग ने बताया कि एंबुलेंस सेवा पर बार-बार संपर्क करने पर भी किसी ने फोन नहीं उठाया और कोरोना पॉजिटिव मरीज समय पर उपचार के लिए शिफ्ट नहीं हो सके। उन्होंने बताया कि उच्च अधिकारियों को इस बावत अवगत करवाया गया है।