मानव भारती विश्वविद्यालय फर्जी डिग्री मामले में 20 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट तैयार

मानव भारती विश्वविद्यालय फर्जी डिग्री मामले में विशेष जांच दल ने 20 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट तैयार की है। --एसआईटी ने चार्जशीट की फाइल अभियोजन अधिकारी को मंजूरी के लिए भेज दी

मानव भारती विश्वविद्यालय फर्जी डिग्री मामले में 20 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट तैयार

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला    21-05-2022

मानव भारती विश्वविद्यालय फर्जी डिग्री मामले में विशेष जांच दल ने 20 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट तैयार की है। एसआईटी ने चार्जशीट की फाइल अभियोजन अधिकारी को मंजूरी के लिए भेज दी है। इसी सप्ताह इसे कोर्ट में दाखिल किया जाना है। 

पुलिस जांच टीम अब तक 43,000 फर्जी डिग्रियां बरामद कर चुकी है। चार्जशीट में शामिल 20 आरोपियों में मानव भारती विवि का मालिक राजकुमार राणा, उसकी पत्नी, रजिस्ट्रार, अकाउंटेंट, सात एजेंट और ट्रस्ट के सदस्य हैं। संस्थान के कहने पर एजेंट फर्जी डिग्री दिलाने का सौदा करते थे।

पुलिस जांच में यह पाया गया है कि 12 राज्यों में फर्जी डिग्रियां बेची गई हैं। इनमें महाराष्ट्र, बिहार, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, दिल्ली, गुजरात, तमिलनाडु, केरल, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हिमाचल और बंगलूरू शामिल हैं। 

विशेष जांच टीम के आईजी हिमांशु मिश्रा, पुलिस अधीक्षक विरेंद्र कालिया, पुलिस अधीक्षक रोहित मालपानी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नरबीर सिंह राठौर सहित टीम के अन्य सदस्यों ने इन राज्यों से हजारों डिग्रियां बरामद की हैं। फर्जी डिग्री लेकर कुछ लोग मल्टीनेशनल कंपनियों में बड़े पदों पर बैठे थे। उन्हें भी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। 

2010 से फर्जी डिग्री आवंटन का खेल चल रहा है। शैक्षणिक सत्र पूरा होने के बाद फर्जी डिग्रियां बिकनी शुरू हो जाती थीं। एजेंट डिग्रियों के सौदे करते थे। ये एजेंट पैसों का नकद लेन-देन करते थे।

ये डिग्रियां 20 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक में बेची गई हैं। मानव भारती विश्वविद्यालय मेें तैयार इन डिग्रियों पर बाकायदा रजिस्ट्रार के हस्ताक्षर होते थे। 
मानव भारती विश्वविद्यालय के मालिक राजकुमार राणा के पास सारा पैसा इकट्ठा होता था। एजेंट कमीशन लेते थे। पैसा जमा होने के बाद फर्जी डिग्री तैयार की जाती थी।  

एजेंटों की मांग पर मानव भारती विश्वविद्यालय ने बिना अनुमति वाले कोर्स की भी डिग्रियां तैयार कर दीं। एजेंट राज्यों से किसी भी कोर्स की डिग्री की मांग लेकर आते थे। आठ से 10 दिन के भीतर उन्हें यह डिग्री उपलब्ध करवा दी जाती थी।