अब ग्लेशियरों के टूटने, झीलों के फटने की पहले ही मिलेगी सटीक जानकारी , नदियों में लगेंगे वॉटर लेवल रिकॉर्डर

अब ग्लेशियरों के टूटने, झीलों के फटने की पहले ही मिलेगी सटीक जानकारी , नदियों में लगेंगे वॉटर लेवल रिकॉर्डर
यंगवार्ता न्यूज़ - देहरादून   23-08-2021
 
उत्तराखंड के उच्च हिमालई क्षेत्रों में ग्लेशियरों के टूटने, भूस्खलन से बनने वाली झीलोें की मॉनिटरिंग के लिए वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी की ओर से ग्लेशियरों के नीचे नदियों में वॉटर लेवल रिकॉर्डर लगाए जाएंगे। इससे न सिर्फ नदियों में जनप्रवाह की मॉनिटरिंग की जाएगी, वरना जल प्रवाह अचानक तेज होने का भी आकलन किया जाएगा। 
 
वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. कालाचाँद साईं के मुताबिक अभी उच्च हिमालयी क्षेत्रों में नदियों के जल प्रवाह की मॉनिटरिंग का कोई प्रभावी तंत्र विकसित नहीं है। ऐसे में ग्लेशियरों के टूटने या फिर हिमस्खलन के चलते बनने वाली झीलों, नदियों के जल प्रवाह की मॉनिटरिंग के लिए नदियों में वाटर लेवल रिकॉर्डर लगाए जाने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
 
पहले चरण में गंगोत्री, ढोकरियानी और दूनागिरी जैसे ग्लेशियरों के पास वाटर लेवल रिकॉर्डर लगाने की तैयारी है। यदि ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने या टूटने के बाद नदियों के जल प्रवाह में अचानक बढ़ोतरी होती है तो वाटर लेवल रिकॉर्डर के जरिए पता चल जाएगा। इसके साथ ही यदि नदियों के जलस्तर में तेजी से कमी आती है तो इसका भी आकलन किया जाएगा। इससे प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान लगाने में थोड़ी सहूलियतें होंगी।
 
 बता दें कि पिछले साल चमोली की नीती घाटी में ग्लेशियर टूटने के बाद आयी भयावह प्राकृतिक आपदा के बाद डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (डीएसटी) और वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी की ओर से उच्च हिमालयी क्षेत्रों में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं का अध्ययन करने व पूर्वानुमान लगाने को लेकर तमाम कदम उठाए जा रहे हैं। इसमें ग्लेशियरों के आसपास अर्ली वॉर्निंग सिस्टम समेत अन्य अत्याधुनिक उपकरणों को भी लगाया जाना शामिल है।