हिमाचल में पहली बार बिना बेहाेश किए मरीज के ब्रेन ट्यूमर का सफल ऑपरेशन

हिमाचल में पहली बार बिना बेहाेश किए मरीज के ब्रेन ट्यूमर का सफल ऑपरेशन

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला   29-08-2021

आमताैर पर किसी भी ऑपरेशन से पहले मरीज काे एनिस्थिसिया देकर बेहाेश कर दिया जाता है। मरीज जब तक हाेश में आता है, तब तक उसका ऑपरेशन हाे चुका हाेता है और ऑपरेशन में उसके साथ क्या-क्या हुआ, उसे इसका पता नहीं हाेता। 

मगर प्रदेश में पहली बार आईजीएमसी के न्यूराे सर्जरी विभाग के डाॅक्टराें ने मरीज के जागते हुए ही उसके ब्रेन टयूमर का सफल ऑपरेशन किया।
ऑपरेशन के दाैरान मरीज पूरी तरह हाेश में था और डाॅक्टर उससे बात भी कर रहे थे। इस जटिल सर्जरी में करीब चार घंटे का समय लगा। 

सर्जरी के दाैरान डाॅक्टराें ने मरीज काे पूरी तरह से बूस्थअप किया और अब मरीज पहले से काफी बेहतर है। इससे पहले हिमाचल में ऐसा ऑपरेशन नहीं हुआ था। डाॅक्टराें का दावा है कि देश के गिने चुने मेडिकल कालेजाें में ही इस तरह की सर्जरी आज तक हुई हाेगी।

काेविड के दाैरान आईजीएमसी में काफी बेहतर कार्य किया, जब देश में एम्स और पीजीआई जैसे संस्थानाें में भी ओपीडी बंद कर दी गई थी ताे आईजीएमसी ही एक ऐसा संस्थान था जहां पर मरीजाें की जांच की जा रही थी। 

इस ऑपरेशन के दौरान स्वयं न्यूरो सर्जन डॉ. जनक राज के अलावा न्यूरो सर्जन डॉ. ज्ञान, न्यूरो सर्जन डॉ. विनीत, न्यूरो सर्जन डॉ. विक्रम, एनिस्थिसिया के डॉ. अजय सूद, एनिस्थिसिया के डॉ. रमेश, डाॅ. अजय, डाॅ. हिमानी व उनकी टीम के साथ ओटीए अनिल शांडिल व स्टाॅफ नर्स अनिता मौजूद रहे। मरीज का ऑपरेशन निशुल्क हुआ। अगर यह ऑपरेशन बाहरी राज्य में करवाना पड़ता तो 7 से 8 लाख रुपए खर्च हो जाने थे।

इसलिए भी थी परेशानी : मरीज के ऑपरेशन के दाैरान सबसे बड़ी परेशानी यह थी कि मरीज काे पता चल रहा था कि उसके साथ क्या हाे रहा है। डाॅ. जनकराज के अनुसार मरीज के दिमाग के बाएं हिस्से में एक ट्यूमर था, बीमारी की जगह और आपरेशन की जटिलताओं की वजह से मरीज के दाएं पैर और बाजू और बोलने की क्षमता खो सकती थी। 

यदि मरीज की ब्रेन की एक भी नस कट जाती तो उसे पैरालाइज हो सकता था। ऐसे में यदि उसे बेहाेश करते ताे परेशानी हाे सकती थी, मगर इस तकनीक से ऐसा ऑपरेशन करने से मरीज का ऑपरेशन सफल रहा और उसे परेशानी नहीं आई।

25 अगस्त काे हुई सर्जरी: आईजीएमसी के एमएस और न्यूराे सर्जरी के विभागाध्यक्ष डाॅ. जनकराज ने बताया कि ठियाेग के 42 वर्षीय व्यक्ति चार माह से आईजीएमसी में ट्यूमर का उपचार करवा रहा था। 

मरीज काे ट्यूमर के कारण चक्कर आते थे। इसलिए डाॅक्टराें ने उस मरीज की अवेक क्रेनियाटाेमी यानि जागते हुए सर्जरी करने का प्लान बनाया। इसके लिए मरीज काे तैयार किया। एक सप्ताह पहले उसे आईजीएमसी में भर्ती किया। 25 अगस्त को मरीज का सफल ऑपरेशन किया। अब मरीज अब स्वस्थ है।