आशीष बुटेल ने कांगड़ा चाय को जीआई टैग देने पर यूरोपियन यूनियन का जताया आभार

देश भर में मशहूर कांगड़ा चाय अब विदेशो में भी मशहूर होने वाली है। यूरोपियन यूनियन ने कागड़ा चाय को जी आई टेंग दे दिया है जी आई टैग मिलने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कांगड़ा चाय की पहचान और मजबूत होगी

आशीष बुटेल ने कांगड़ा चाय को जीआई टैग देने पर यूरोपियन यूनियन का जताया आभार

बोले चाय उत्पादकों को होगा फायदा, विदेशो में होगा कांगड़ा चाय का नाम

यंगवार्ता न्यूज़ - कांगड़ा    04-04-2023

देश भर में मशहूर कांगड़ा चाय अब विदेशो में भी मशहूर होने वाली है। यूरोपियन यूनियन ने कागड़ा चाय को जी आई टेंग दे दिया है जी आई टैग मिलने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कांगड़ा चाय की पहचान और मजबूत होगी। वही जी आई टैग मिलने पर पालमपुर के विधायक और सरकार में सीपीएस आशीष बुटेल ने यूरोपियन यूनियन का आभार जताया है। 

उन्होंने कहा कि कांगड़ा चाय को हाल ही में जी आई टैग मिला है टैग मिलने का  मकसद यह है कि एक एरिया चयनित किया जाता है जहा इस तरह की चाय होती है। यूरोपीयन यूनियन ने कांगड़ा चाय को इसके लिए चुना है और जी आई टैग दिया है। 

अब विदेशों में कांगड़ा चाय के नाम से चाय प्रसिद्ध होगी और वहां पर बिक सकती है। जो भी लोग कांगड़ा चाय का एक्सपोर्ट का कार्य करते हैं उनके लिए उनके लिए बहुत फायदेमंद है। उन्होंने कहा कि हिमाचल में 2500 हेक्टेयर पर चाय की खेती होती है। कंगड़ा  चाय की क्वलिटी काफी अच्छी है ओर  लम्बी पत्ती वाली चाय के नाम से भी इसे जाना जाता है। 

कांगड़ा चाय को भारतवर्ष में पहले ही जी आई टैग मिला हुआ है जिससे कांगड़ा चाय की बहुत प्रसिद्धि हुई थी वही अब यूरोपियन यूनियन से  जी आई टैग मिलने पर विदेशों में भी ये चाय प्रसिद्ध होगी। 

कांगड़ा चाय के इतिहास  करीब 174 साल पुराना है. साल 1849 में बॉटनिकल टी गार्डन के तत्कालीन अधीक्षक डॉ. जेम्सन ने कांगड़ा क्षेत्र घुमने आए थे. इस दौरान उन्होंने जब ये क्षेत्र देखा तो उन्हें ये चाय की खेती के ल‍िए सबसे मुफीद लगा. इसके बाद उन्होंने कांगड़ा को चाय की खेती के लिए आदर्श बताया था. मौजूदा समय में वैश्व‍िक स्तर पर अपनी छाप छोड़ रहा है.