एसएफआई ने उच्च शिक्षा निदेशक को SC ओर ST की छात्रवृति से सम्बंधित मांगो को लेकर सौंपा मांग पत्र  

एसएफआई ने उच्च शिक्षा निदेशक को SC ओर ST की छात्रवृति से सम्बंधित मांगो को लेकर सौंपा मांग पत्र  

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला   19-04-2021

एसएफआई हिमाचल प्रदेश इकाई द्वारा उच्च  शिक्षा निदेशक को  SC ओर ST की छात्रवृति से सम्बंधित मांगो को लेकर एक मांगपत्र सौंपा।

एसएफआई ने यह मांग उठाई की अभी हाल में ही जो उच्च शिक्षा निदेशक द्वारा यह फरमान जारी किया है कि कोई सरकारी कर्मचारी सरकार की नीतियों के खिलाफ किसी भी प्रकार की कोई भी टिप्पणी ना करें। 

उनका यह साफ तौर पर मानना है कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी सरकार की नीतियों के खिलाफ यदि सोशल मीडिया के अंदर भी कोई टिप्पणी करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 

एसएफआई इसका पूर्ण रूप से विरोध करती है और यह मांग करती है कि जल्द ही जल्द इस लिए गए निर्णय को वापस  लिया जाए। तथा अभी हाल ही के अंदर जो किताबों की कीमतों के अंदर 25% बढ़ोतरी की गई है। उस निर्णय को वापस लेने की मांग की गई। 

एसएफआई का यह साफ तौर पर मानना है कि एक तरफ सरकार जहां सब को शिक्षा देने की बात करती है वहीं दूसरी और शिक्षा के अंदर 18% जी0 एस0 टी0 लगाना और किताबों की कीमतों के अंदर वृद्धि करना इससे साफ जाहिर होता है कि सरकार गरीब तबके से शिक्षा को वंचित रखना चाह रही है क्योंकि ये फैसला छात्र विरोधी नीतियों को साफ दर्शा रहा है।

नेशनल कैंपेन ऑन दलित ह्यूमन राइट्स के मुताबिक, पीएचडी और इसके बाद के कोर्सेज के लिए फेलोशिप और स्कॉलरशिप में 2014-15 से लगातार गिरावट आयी है. इसके मुताबिक, एससी के लिए यह रकम 602 करोड़ रुपये से घट कर 283 करोड़ रुपये हो गयी। 

जबकि एसटी स्टूडेंट्स के लिए यह 439 करोड़ रुपये से कम होकर 135 करोड़ रुपये हो गयी. इसी प्रकार से यूजीसी और इग्नू में एससी और एसटी समुदाय के छात्रों के लिए हायर एजुकेशन फंड्स में क्रमश: 23 पर्सेंट और 50 पर्सेंट की गिरावट हुई। 

एसएफआई मानना है कि सरकार का यह कर्तव्य है कि शिक्षा सभी वर्गों, समुदाय व छात्रों को मुहैया करवाई जाए लेकिन पिछले दो दशक से हम देखें तो सरकार लगातार शिक्षा के बजट में कटौती करती आई है। 

ग्रॉस इनरोलमेंट रेशों को बढ़ाने की जगह उसमे लगातार गिरावट हो रही है और एससी एसटी वर्ग को एक बराबरी के स्तर पर लाने की जगह लगातार पूंजीपतियों के लिए पॉलिसी बनाती जा रही है ओर शिक्षा को एक अधिकार से एक व्यापार बनाने की कोशिश की जा रही है। 

जिससे यह साफ झलकता है कि सरकार कहीं ना कहीं जो पिछड़े वर्ग के उत्थान के लिए जो उसका कर्तव्य है। उससे अपना पल्ला झाड़ने का काम कर रही है। जिसका एसएफआई साफ तौर पर विरोध करती है। 

सभी प्रकार की छात्रवृति को तुरंत प्रभाव से बहाल किया जाए अन्यथा एसएफआई तमाम छात्र समुदाय की एकजुट करते हुए उग्र आंदोलन करेगा जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार की होगी।