केंद्र के बाद प्रदेश सरकार किसानों बागबानों की मांगों पर दे ध्यान अन्यथा चुनावों में देंगे जवाब
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 20-11-2021
किसानों के दबाव में मोदी ने काले कानूनों को वापिस लेने की घोषणा की है। आजादी के बाद यह दूसरा बड़ा आंदोलन है जिसमे सात सौ किसानों ने जान की कुर्बानी दी है। यह बात शिमला में सयुंक्त किसान मंच ने शिमला में कही।
मंच ने साफ कर दिया है कि जब तक कानून को संसद में निरस्त नही किया जाता है व एमएसपी पर कानून नहीं बनता है तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान ने शिमला में पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि इस आंदोलन के दौरान अनेक तमगे किसानों को दिए गए , लेकिन किसानों ने हार नहीं मानी। उन्होंने मोदी सरकार से सवाल किया है कि इस आंदोलन में 700 लोगों की शहादत को सरकार क्या पहले रोक नहीं सकती थी।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने संबोधन में कहा कि सरकार किसानों को समझा नहीं पाई , लेकिन वास्तविकता में किसान तो पहले ही समझ गया था लेकिन प्रधानमंत्री नहीं समझ पाए थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के समझने के बाद अब प्रदेश के मुख्यमंत्री की बारी है।
उपचुनाव में चार सीट हारे हैं , लेकिन 2022 के चुनाव सामने है। उन्होंने कहा कि किसानों ने 15 सूत्रीय मांगपत्र मुख्यमंत्री को सौंपा था लेकिन किसानों की मांग पर प्रदेश सरकार ने कोई ध्यान नही दिया है।
हरीश चौहान ने कहा कि वह भी भाजपा आरएसएस के संगठन से जुड़े हैं लेकिन वह शुरू से जानते थे कि यह कानून काले है। वन्ही उन्होंने कहा कि प्रदेश में किसानों को खाद की भारी कमी है। किसानों को कहीं भी खाद नही मिल रही जहां मिल रही है वह महंगी है।
उन्होंने कहा कि खाद पर सब्सिडी के सारे दावे हवा हो गए हैं सरकार को इस पर गौर करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण में जो मुआवजा मिलता है वह दूसरे प्रदेशों की तुलना में काफी कम है।
इसको लेकर संयुक्त किसान मंच भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच के साथ मिलकर 14 दिसंबर को विधानसभा के शीतकालीन सत्र का घेराव करेगी।