दिल्ली में प्रदर्शन करेंगे यूक्रेन से लौटे बच्चों के अभिभावक , स्थानीय मेडिकल कॉलेजों में कर रहे दाखिले की मांग

रूस यूक्रेन युद्ध के चलते भारत वापस लौटे मेडिकल के छात्रों को स्थानीय मेडिकल कॉलेजों में दाखिल करवाने की मांग को लेकर छात्र छात्राओं के अभिभावकों ने संघर्ष शुरू कर दिया है

दिल्ली में प्रदर्शन करेंगे यूक्रेन से लौटे बच्चों के अभिभावक , स्थानीय मेडिकल कॉलेजों में कर रहे दाखिले की मांग
 
यंगवार्ता न्यूज़ - ऊना  05-07-2022
 
रूस यूक्रेन युद्ध के चलते भारत वापस लौटे मेडिकल के छात्रों को स्थानीय मेडिकल कॉलेजों में दाखिल करवाने की मांग को लेकर छात्र छात्राओं के अभिभावकों ने संघर्ष शुरू कर दिया है। सोमवार देर रात यूक्रेन से लौटे जिला के कई छात्र छात्राओं के अभिभावक दिल्ली में इस मांग को लेकर धरना प्रदर्शन करने के लिए रवाना हुए। 
 
 
दौलतपुर चौक से दिल्ली तक चलने वाली हिमाचल एक्सप्रेस गाड़ी में रवाना होने से पूर्व अभिभावकों और छात्र-छात्राओं ने सरकार से उन्हें स्थानीय मेडिकल कॉलेजों में यथावत दाखिल करने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि फिलहाल छात्रों के अभिभावक धरना प्रदर्शन कर अपनी मांग को उठाएंगे। 
 
 
यदि इसके बाद भी सरकार ने उनकी मांग को अनसुना किया तो उन्हें आत्मदाह या फिर आमरण अनशन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। हालांकि अभिभावकों ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के होते उन्हें पूरी उम्मीद है कि उनके बच्चों का भविष्य अंधकारमय नहीं होगा। 
 
 
बता दें कि युद्ध की परिस्थितियों के बीच यूक्रेन में डॉक्टरी की पढ़ाई छोड़कर भारत वापस लौटने वाले छात्र-छात्राओं और उनके अभिभावकों में भविष्य को लेकर चिंताएं विकराल रूप धारण करने लगी हैं। लंबे अरसे से सभी छात्र छात्राओं को भारतीय मेडिकल कॉलेजों में दाखिला देने की मांग कर रहे। 
 
 
अब अभिभावकों ने अपनी मांग के लिए अब धरना प्रदर्शन के रास्ते को चुना है। सोमवार देर रात दौलतपुर चौक से दिल्ली के बीच चलने वाली हिमाचल एक्सप्रेस रेलगाड़ी के माध्यम से इन तमाम छात्र छात्राओं के अविभावक दिल्ली में धरना प्रदर्शन करते हुए अपनी आवाज बुलंद करने को रवाना हुए। 
 
 
अभिभावकों ने कहा कि इस मांग को लेकर वे पहले भी सरकार के समक्ष आवाज उठा चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें पूरी तरह से अनसुना किया गया, लिहाजा उन्हें अब संघर्ष के रास्ते पर चलने को मजबूर होना पड़ा है। 
 
 
अभिभावकों में ब्रजेश शर्मा और संजीव कुमार ने कहा कि उनके बच्चों ने भी प्रतियोगी परीक्षाओं में खुद को साबित किया है जिसके बाद उन्हें यूक्रेन में पढ़ने के लिए भेजा गया। अभिभावकों का कहना है कि उन्होंने अपनी पूरी जमा पूंजी अपने बच्चों की पढ़ाई पर खर्च कर दी है, लेकिन अब उनके बच्चों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है।  
 
 
उन्होंने कहा कि इससे पहले भी प्रदेश सरकार से लेकर केंद्र सरकार के कई नुमाइंदों के पास यूक्रेन से लौटे बच्चों के अभिभावक अपनी बात रख चुके हैं। लेकिन इसके बावजूद किसी ने उनकी सुनवाई नहीं की. उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके बच्चों का भविष्य उजड़ने नहीं देंगे।