पर्यटन नगरी मनाली में बनेगा प्रदेश का पहला इको फ्रेंडली सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट
पर्यटन नगरी मनाली में प्रदेश का पहला इको फ्रेंडली सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाएगा। मनाली शहर के आसपास की करीब सात पंचायतों को सीवरेज से जोड़ने के लिए 369 करोड़ की सीवरेज एवं पेयजल योजना मंजूर हुई
यंगवार्ता न्यूज़ - कुल्लू 09-02-2023
पर्यटन नगरी मनाली में प्रदेश का पहला इको फ्रेंडली सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाएगा। मनाली शहर के आसपास की करीब सात पंचायतों को सीवरेज से जोड़ने के लिए 369 करोड़ की सीवरेज एवं पेयजल योजना मंजूर हुई है। यह योजना सिक्वेंसिल बैच रियेक्टर (एसबीआर) प्रणाली के तहत बनाई जाएगी।
प्रदेश में इस तरह की प्रणाली से बनने वाली यह पहली योजना है। खास यह है कि इस प्रणाली से सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में प्रदूषण की मात्रा न के बराबर होगी। प्रदेश में अब तक साधारण तकनीक से ट्रीटमेंट प्लांट बने हैं। साधारण ट्रीटमेंट प्लांट की बीओडी (बॉयोलॉजिकल ऑफिशियंसी ऑक्सीजन) 30 पीपीएम तक रहती है, लेकिन इसकी बीओडी दस पीपीएम से अधिक नहीं होगी।
पहले चरस में सीवरेज लाइन बिछाने के लिए करीब सौ करोड़ का टेंडर खुल गया है। जल्द इसका कार्य शुरू होने की उम्मीद है। इससे ओल्ड मनाली, चचौगा, प्रीणी, जगतसुख, नसोगी, गदेरनी, वशिष्ठ आदि इलाकों के हजारों की आबादी को फायदा होगा। पहले चरण में सीवरेज लाइन बिछाने का कार्य किया जाएगा।
दूसरे में पेयजल लाइन और तीसरे चरण में सीवरेज ट्रीटमेंट का कार्य होगा। इस पर 369 करोड़ का बजट खर्च होगा। पहले चरण में सीवरेज लाइन बिछाने के लिए कुछ दिन पूर्व करीब सौ करोड़ का टेंडर खुल गया है। योजना बनने के बाद मनाली शहर के अलावा आसपास की सात पंचायतों की 50 हजार से अधिक आबादी को फायदा होगा।
साथ ही इन इलाकों में बने होटल भी सीवरेज से जुड़ जाएंगे। जलशक्ति विभाग की मानें तो गोजरा बिहाल में करीब 17 एमएलडी की क्षमता का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश में सिक्वेंसिल बैच रियेक्टर प्रणाली का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण मनाली में होगा। इस प्लांट से प्रदूषण की संभावना बेहद कम होगी। यह परियोजना पूरी तरह से इको फ्रेंडली होगी। - अरुण शर्मा, अधिशासी अभियंता, जलशक्ति विभाग
सिक्वेंसिल रियेक्टर प्रणाली के तहत इकोलाइजेशन, बॉयोलॉजिकल और सेकेंडरी प्रक्रिया एक ही टैंक में अलग-अलग समय पर होती है। इस प्रणाली के तहत एक टैंक में पांच प्रक्रियाएं होती हैं। इसमें नाइट्रेट नाइट्रोजन फ्री नाइट्रोजन में बदलकर वातावरण में मिल जाती है।
बलोअर ऑन करने के बाद टैंक में बीओडी दस प्रतिशत से अधिक नहीं बढ़ती। इस प्लांट से फोकल पॉलीफार्म तीन से चार, टोटल नाइट्रोजन दस, टोटल फासफोरस, ऑयल व ग्रीस पांच पीपीएम से कम रहती है।