यंगवार्ता न्यूज़ - मंडी 21-02-2022
हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय उच्च मार्ग प्राधिकरण द्वारा फोरलेन व रेलवे लाइन हेतु भूमि अधिग्रहण किया जा रहा है इनमें भूमि अधिग्रहण, 2013 कानून ( पुनर्स्थापना, पुनर्वास व चार गुना मुआवजा ) को हिमाचल सरकार लागू नहीं कर रही है जबकि नरेंद्र मोदी व केंद्र की सरकार भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 के अनुसार चार गुना मुआवजा, पुनर्वास व पुनर्स्थापना को लागू करने को राजी है।
जबकि साथ लगते राज्य उत्तराखंड में चार गुना मुआवजा दिया जा रहा है और हमारी डबल इंजन सरकार कौड़ियों के भाव जमीन लेकर किसानों को बर्बाद करने पर तुली है। यह बात मीडिया से रूबरू हुए भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच संयोजक जोगिन्दर वालिया ने कही। उन्होंने बताया कि फोरलेन के प्रभावित पिछले लगभग चार वर्ष से लगातार सरकार को अपने घोषणा पत्र को लागू करने की मांग करते आ रहे हैं , लेकिन जयराम सरकार इसको लागू नहीं कर रही है और कमेटी पर कमेटी बना कर फैसले को लगातार टालमटोल कर रही है।
इसके विपरीत एक 3 सदस्य नई कमेटी का गठन कर दिया गया है जिसकी पिछले 2 महीने से कोई बैठक नहीं की गई है और सरकार लगातार भूमि अधिग्रहण कानून को लागू करने में आनाकानी कर रही है। इस कारण हिमाचल के किसानों में भारी गुस्सा है और सरकार के खिलाफ पूरे प्रदेश में एक व्यापक प्रदेश स्तरीय भूमि-अधिग्रहण प्रभावित एकजुटता बनाने हेतु भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच बनाया गया है और लगातार प्रभावितों की मुख्य मांग भूमि अधिग्रहण कानून को लागू करने की आवाज उठाता रहेगा और इसके लिए आने वाले दिनों में अन्य संगठनों से मिलकर प्रदेश स्तरीय आंदोलन विकसित किया जायेगा।
भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच के अध्यक्ष बीआर कौंडल ने कहा कि प्रभावित किसानों का प्रतिनिधिमंडल 14 दिसम्बर को धर्मशाला में आयोजित रैली के उपरांत विधानसभा के अंदर राजस्व मंत्री महेंद्र ठाकुर से अपनी मांगों को लेकर मिला था जिसमें भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 को लागू करवाने, चार गुना मुआवजा देने ,1 अप्रैल, 2015 की अधिसूचना को निरस्त करने पुनर्वास व पुनर्स्थापना के मुद्दे पर 30 जनवरी तक जिला स्तरीय बैठकें करने का फायदा दिया गया था लेकिन अभी तक कोई बैठक नहीं की गई है जिसके कारण किसानों में भारी रोष है। इसके अलावा मंडलायुक्त द्वारा भूमि अधिग्रहण के एक साल से लंबित मुद्दों को खारिज करते हुए दलील दी गई कि एक साल बीत जाने के बाद उन पर कोई निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। इस प्रकार सरकार किसानों को मंडलायुक्त के माध्यम से दोहरी मार मार रही है।
उन्होंने कहा कि अगर कमेटी सदस्य 28 फरवरी तक प्रभावित किसानों के मिलने के वायदे को पूरा नहीं करती है, तो कैबिनेट-सब कमेटी के सदस्यों का उनके जिला/विधानसभा क्षेत्र में उनके खिलाफ मार्च में प्रभावित किसान अपना विरोध प्रकट करेंगे। इस अवसर पर सहसंयोजक नरेश कुकू, प्रशांत मोहन , यशवंत गुलेरिया , हरी सिंह सैनी, योगेश कुमार व राज कुमार वर्मा आदि मौजूद रहे।