केवल चुनाव तंत्र बन कर रह गया लोकतंत्र, एक साथ होने चाहिए सभी चुनाव : शांता

पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि भारत में लोकतंत्र केवल चुनाव तंत्र बनकर रह गया है। विश्व के दूसरे देशों में ऐसा नहीं होता। संविधान के अनुसार चुनाव पांच साल में एक बार होने चाहिए। भारत में 1967 तक पूरे देश के सभी चुनाव पांच साल में एक बार होते थे

केवल चुनाव तंत्र बन कर रह गया लोकतंत्र, एक साथ होने चाहिए सभी चुनाव : शांता

यंगवार्ता न्यूज़ - कांगड़ा       26-11-2022

पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि भारत में लोकतंत्र केवल चुनाव तंत्र बनकर रह गया है। विश्व के दूसरे देशों में ऐसा नहीं होता। संविधान के अनुसार चुनाव पांच साल में एक बार होने चाहिए। भारत में 1967 तक पूरे देश के सभी चुनाव पांच साल में एक बार होते थे। 

उन्होंने कहा कि भारत में हर साल एक या कुछ प्रदेशों में चुनाव होते हैं। इसके लिए पूरे देश की सभी पार्टियां और सभी नेता उलझ जाते हैं। हर पार्टी के देशभर के नेता उन प्रदेशों में पूरा समय लगाते हैं। करोड़ों-अरबों रुपये खर्च होते हैं। 

इस साल गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव थे। पूरे देश की पूरी राजनीति उलझी रही। अगले साल 10 प्रदेशों में चुनाव हैं। 2024 में सात प्रदेशों के साथ लोकसभा के चुनाव हैं। हिमाचल और गुजरात से निवृत्त होकर पूरे देश की राजनीति दो साल में 17 विधानसभा और लोकसभा के चुनाव के लिए उलझ जाएगी। 

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक देश, एक चुनाव की बात कही है। उसे जल्द लागू करना बहुत आवश्यक है। कानून बदलकर पांच साल में देश के सभी चुनाव केवल एक बार हों। तीन महीनों का समय चुनाव के लिए रखा जाए। पं

चायत से लेकर विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक बार हो जाएं। कोई स्थान किसी कारण खाली हो तो उपचुनाव का प्रावधान भी समाप्त कर दिया जाए। वहां चुनाव में दूसरे नंबर पर आने वाले व्यक्ति को विजयी घोषित कर दिया जाए।

सरकार बदलना चाहते हैं तो बताना पड़ेगा कि नई सरकार कैसे होगी। इसके बाद भी किसी प्रदेश की सरकार टूट जाए तो वहां बाकी समय के लिए राष्ट्रपति शासन हो। इस नियम से ही दलबदल समाप्त हो जाएगा।