यंगवार्ता न्यूज़ - सोलन 09-12-2021
सोलन जिला में पुनरुत्थान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना तथा पुनरुत्थान मौसम आधारित फसल बीमा योजना के तहत विभिन्न रबी फसलों का बीमा किया जा रहा है। यह जानकारी कृषि उपनिदेशक सोलन डाॅ. राजेश कौशिक ने आज यहां दी।
डॉ. राजेश कौशिक ने कहा कि पुनरुत्थान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अन्तर्गत रबी मौसम में गेहूं व जौ की फसलों को शामिल किया गया है। इसके अंतर्गत बीमा करवाने की अन्तिम तिथि 15 दिसम्बर 2021 निर्धारित की गई है।
उन्होंने कहा कि पुनरोत्थान मौसम आधारित फसल बीमा योजना के अन्तर्गत रबी मौसम में टमाटर व ज़िला के धर्मपुर विकास खंड के लिए शिमला मिर्च की फसल को शामिल किया गया है। इस योजना के तहत बीमा करवाने की अन्तिम तिथि 28 फरवरी 2022 निर्धारित की गई है।
कृषि उपनिदेशक ने कहा कि किसान इन फसलों का बीमा अपने समीप के लोकमित्र केंद्रों के माध्यम से करवा सकते हैं। इसके लिए किसान जमाबंदी, आधार कार्ड, बैंक पासबुक, बिजाई प्रमाण पत्र इत्यादि जैसे अपने दस्तावेज लेकर लोकमित्र केंद्रों में जाएं अथवा ऑनलाइन पोर्टल https://pmfby.gov.in पर आवेदन करें।
उन्होंने कहा कि ऋण धारक किसान यदि इन योजनाओं का लाभ नहीं लेना चाहते तो वह संबंधित बैंक को इस बारे में अन्तिम तिथि से 7 दिन पूर्व अवश्य सूचित करें अन्यथा उनकी फसल का बीमा स्वतः हो जाएगा। डाॅ. राजेश कौशिक ने कहा कि गेहूं की फसल के लिए कुल बीमित राशि 2400 रुपए तथा जौ की फसल के लिए बीमित राशि 2000 रुपए प्रति बीघा निर्धारित की गई है।
किसानों को गेहूं की फसल के लिए 36 रुपए प्रति बीघा तथा जौ की फसल के लिए 30 रुपए प्रति बीघा प्रीमियम राशि अदा करनी होगी। टमाटर की फसल के लिए कुल बीमित राशि 8000 रुपए प्रति बीघा तथा शिमला मिर्च की फसल के लिए कुल बीमित राशि 3200 रुपए प्रति बीघा निर्धारित की गई है।
किसानों को टमाटर की फसल के लिए 400 रुपए प्रति बीघा तथा शिमला मिर्च की फसल के लिए 160 रुपए प्रति बीघा प्रीमियम राशि अदा करनी होगी। कृषि उपनिदेशक ने कहा कि पुनरोत्थान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना व पुनरोत्थान मौसम आधारित फसल बीमा योजना के अंतर्गत कम वर्षा, सूखा, बाढ़, सैलाब, भूमि कटाव, ओलावृष्टि और फसल कटाई के उपरान्त 02 सप्ताह तक होने वाले नुकसान तथा स्थानीय आपदाओं को कवर किया जाता है।
उन्होंने ज़िला के किसानांे से आग्रह किया है कि इन योजनाओं के अन्तर्गत अपनी फसलों का बीमा करवाएं ताकि फसलों का नुकसान होने पर बीमा कंपनियों से मुआवज़ा मिल सके। उन्होंने कहा कि बीमा करवाने के लिए एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी को चयनित किया गया है। इस सम्बन्ध में अधिक जानकारी के लिए अपने समीप के कृषि अधिकारी से संपर्क किया जा सकता है।