वजन के हिसाब से सेब बेचने के फैसले पर भड़के आढ़ती, मंडियों में सेब बेचने से किया इंकार 

हिमाचल सरकार द्वारा वजन के हिसाब से सेब बेचने के फैसले के बाद आढ़ती भडक़ गए हैं। आढ़तियों ने ऐलान कर दिया है कि सेब मंडियों में वे सेब नहीं बेचेंगे। जब तक सरकार वजन के हिसाब से सेब बेचने के फैसले को वापस नहीं लेती

वजन के हिसाब से सेब बेचने के फैसले पर भड़के आढ़ती, मंडियों में सेब बेचने से किया इंकार 

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला     20-07-2023

हिमाचल सरकार द्वारा वजन के हिसाब से सेब बेचने के फैसले के बाद आढ़ती भडक़ गए हैं। आढ़तियों ने ऐलान कर दिया है कि सेब मंडियों में वे सेब नहीं बेचेंगे। जब तक सरकार वजन के हिसाब से सेब बेचने के फैसले को वापस नहीं लेती हैं। मंडियों में सेब नहीं बिकेगा। ऐसे में प्रदेश के हजारों बागबानों पर संकट आ गया है। 

अगर समय रहते सरकार इस स्थिति को नहीं सुलझाती है तो फिर बागबानों को सेब बेचना मुश्किल हो सकता है। दरअसल ठियोग की पराला मंडी में बुधवार को सुबह के समय सेब की बोलियां लग रही थीं। इस दौरान कुछ बागबानों को सेब वजन के हिसाब से बिक रहा था, तो कुछ बागबानों को सेब पेटी के हिसाब से बिक रहा था। 

इस दौरान मंडी में एसडीएम ठियोग, तहसीलदार ठियोग व एपीएमसी की सचिव पुलिस की टीम के साथ चालान करने पहुंचे। इस बार आढ़ती भडक़ गए और सेब बेचना बंद कर दिया है। आढ़तियों ने कहा है कि मंडी में अब अनिश्चितकाल के लिए हड़ताल रहेगी।

सरकार जब तक वजन के हिसाब से सेब बेचने के फैसले को वापस नहीं लेती है, तब तक यह हड़ताल जारी रहेगी। दूसरी ओर भट्टाकुफर मंडी में भी दिन के समय सेब की बोलियां नहीं लगी। मंत्री के दौरे के बीच भी मंडी में बागबानों का सेब नहीं बिका। हालांकि शाम चार बजे के बाद सेब की बोलियां जरूर लगीड्ड। 

वहीं, पराला मंडी के आढ़ती सुशील ठाकुर का कहना है कि मंडियों भारी संख्या में सेब आ रहे हैं। ऐसे में तोलकर सेब बेचना संभव नहीं है। मंडियों में जगह काफी कम है और वजन के हिसाब सेब बेचने में समय भी ज्यादा लग रहा है। बागबानों की सहमति से ही पेटी के हिसाब से सेब बिक रहा है। ऐसे में पहले की तरह ही सेब बिकने दिया जाए। 

दूसरी ओर बागबानी संगठनों के संयुक्त किसान मंच ने कहा कि बागबान लंबे समय से इसकी मांग कर रहे हैं कि सरकार एपीएमसी-2005 व अन्य कानूनों को लागू करे और मंडियों में सेब व अन्य फसलें वजन के हिसाब से स्टैंडर्ड बॉक्स में बेचे जाएं तथा बागबानों को भुगतान उसी दिन सुनिश्चित किया जाए जिस दिन उनकी फसल बिके।