शूलिनी यूनिवर्सिटी ने प्राचीन भारतीय ज्ञान विश्वविद्यालय स्थापित करने की बनाई योजना : प्रो. खोसला
टाइम्स हायर एजुकेशन की तरफ से दुनिया भर के 200 शीर्ष विश्वविद्यालयों में शामिल किए जाने के बाद शूलिनी विश्वविद्यालय ने अब प्राचीन भारतीय ज्ञान में विशेषज्ञता के लिए एक और विश्वविद्यालय स्थापित करने का निर्णय
यंगवार्ता न्यूज़ - सोलन 02-05-2022
टाइम्स हायर एजुकेशन की तरफ से दुनिया भर के 200 शीर्ष विश्वविद्यालयों में शामिल किए जाने के बाद शूलिनी विश्वविद्यालय ने अब प्राचीन भारतीय ज्ञान में विशेषज्ञता के लिए एक और विश्वविद्यालय स्थापित करने का निर्णय लिया है।
यहां आयोजित पत्रकारवार्ता में यूनिवर्सिटी के संस्थापक और चांसलर प्रोफेसर पीके खोसला ने कहा कि 2022 में दुनिया की टॉप 200 यूनिवर्सिटी में शामिल होने का लक्ष्य हासिल करने के बाद अब शूलिनी यूनिवर्सिटी अपनी गतिविधियों का विस्तार करने के लिए तैयार है।
यूनिवर्सिटी ने 2009 में दुनिया की टॉप 200 यूनिवर्सिटी में शामिल होने का सपना देखा था और ईश्वर की अनुकंपा से हमने ये लक्ष्य प्राप्त कर लिया है। समृद्ध प्राचीन भारतीय ज्ञान की खोज की दिशा में एक कदम के रूप में, यूनिवर्सिटी की तरफ से हिमाचल प्रदेश सरकार को एक प्रस्ताव पेश किया गया है।
चांसलर पी के खोसला ने कहा कि उन्होंने और विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रबंधन ने प्रस्ताव के साथ मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मुलाकात की थी। मुख्यमंत्री ने प्रस्ताव की जांच करने और दो महीने के अंदर अपनी सिफारिशें देने के लिए एक समिति का गठन किया है।
प्रो खोसला ने कहा कि हमारी समृद्ध विरासत और ज्ञान को ब्रिटिश शासकों ने जानबूझ कर दूर रखा और अब इस पर ध्यान केंद्रित करने और उनके ज्ञान को दुनिया को बताने का समय है।
प्रो चांसलर और संस्थापक विशाल आनंद ने कहा कि यह डॉ खोसला का विजन था, जिसके परिणामस्वरूप विश्वविद्यालय को प्रतिष्ठित रैंकिंग मिली है।
रैंकिंग का उद्देश्य सकारात्मक बदलाव के लिए प्रयास करने वाले संस्थानों की पहचान करना और उनका सम्मान करना है और संयुक्त राष्ट्र के अनिवार्य एसडीजी को प्राप्त करने की दिशा में अपना काम करते हुए अधिक समावेशी होने के लिए विघटनकारी ताकतों के रूप में कार्य करना है।
एसडीजी को सभी 193 सदस्य देशों द्वारा अपनाया गया था और यह हमारी दुनिया के सामने आने वाले सबसे बड़े मुद्दों से निपटने के लिए वैश्विक प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाने के दशकों के काम की परिणति है। यह महसूस किया गया कि एसडीजी के कार्यान्वयन में मदद करने के लिए विश्वविद्यालयों को विशिष्ट रूप से रखा गया था।
इस मौके पर यूनिवर्सिटी के ट्रस्टी सतीश आनंद, अशोक आनंद के अलावा सरोज खोसला, डॉ.जेएम जुल्का, डॉ. सौरभ, डॉ. कमलदेव, डॉ. कुलदीप रोझे, विपिन पब्बी समेत अन्य लोग मौजूद रहे।