सुक्खू सरकार का बड़ा फैसला : एसडीएम व एडीएम को नहीं मिलेंगे पीएसओ

हिमाचल प्रदेश की माली हालत को पटरी पर लाने के लिए सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। सुक्खू सरकार ने अनावश्यक खर्चे कम करने के लिए एसडीएम व एडीएम की सुरक्षा में कटौती करने का निर्णय लिया

सुक्खू सरकार का बड़ा फैसला : एसडीएम व एडीएम को नहीं मिलेंगे पीएसओ

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला      01-03-2023

हिमाचल प्रदेश की माली हालत को पटरी पर लाने के लिए सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। सुक्खू सरकार ने अनावश्यक खर्चे कम करने के लिए एसडीएम व एडीएम की सुरक्षा में कटौती करने का निर्णय लिया है।

इन पदों पर तैनात आईएएस व एचएएस अधिकारियों को अब निजी सुरक्षा अधिकारी नहीं मिलेंगे। प्रदेश सरकार ने डीजीपी को सभी एसडीएम व एडीएम की सुरक्षा में तैनात पीएसओ को हटाने के आदेश दिए हैं।

इसके अलावा मुख्यमंत्री के बेड़े से भी पुलिस वाहन हटाए जाएंगे। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वीआईपी मूवमेंट के दौरान अनावश्यक तौर पर उपयोग होने वाले वाहनों की संख्या घटाने का भी निर्देश दिया है। सामान्य प्रशासन और पुलिस को वाहनों की संख्या कम करने के लिए कहा गया है। 

मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार नरेश चौहान ने एसडीएम व एडीएम (SDM and ADM) के निजी सुरक्षा अधिकारियों को हटाने की पुष्टि की है। उनका कहना है कि पूर्व भाजपा सरकार (Former BJP Government) ने एसडीएम व एडीएम को भी पीएसओ देने का फैसला लिया था। 

इन अधिकारियों को पीएसओ देने का कोई औचित्य नहीं रह गया है। लिहाजा इस फैसले को बदल दिया है। राज्य सरकार वीवीआईपी सुरक्षा में कटौती करेगी।

प्रदेश में 72 उपमंडल हैं और अधिकांश एसडीएम के पास पीएसओ हैं। सरकार का मानना है कि हिमाचल देश भर में शांत प्रदेश है और इन अधिकारियों को सुरक्षा देना तर्कसगंत नहीं है। इससे फिजूलखर्ची कम होगी और थानों में मैनपावर भी बढ़ेगी। 

पूर्व की भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम वर्ष एसडीएम के साथ पीएसओ नियुक्त करने का निर्णय लिया था। लेकिन सुक्खू सरकार को पूर्व सरकार का यह फैसला रास नहीं आया है। मुख्यमंत्री सुक्खू खुद कह चुके हैं कि विधायक रहते हुए उन्होंने एक भी पीएसओ नहीं लिया था। 

सत्ता पक्ष के कई विधायक राजेश धर्माणी, विनोद सुल्तानपुरी, अजय सोलंकी व मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी पीएसओ लेने से इंकार कर चुके हैं। गौर हो  कि हिमाचल प्रदेश कर्ज के बोझ तले दबा है। 

राज्य पर 75 हजार करोड़ से अधिक का ऋण है। मौजूदा सुक्खू सरकार तीन महीने में लगभग 3000 करोड़ ऋण ले चुकी है। मौजूदा सरकार राज्य की खस्ता माली हालत के लिए पिछली सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है।