सावधान : बच्चों को चुप कराने के लिए न दें मोबाइल , ख़राब हो जाएगी नौनिहालों की आंखें
अगर बच्चों को चुप करवाने के लिए मोबाइल थमा रहे हैं तो संभल जाएं। हो सकता है कि आपके नौनिहाल की नजर कमजोर हो जाए और किशोरावस्था में ही मोटा चश्मा लगाना पड़े
न्यूज़ एजेंसी - नई दिल्ली 15-03-2023
अगर बच्चों को चुप करवाने के लिए मोबाइल थमा रहे हैं तो संभल जाएं। हो सकता है कि आपके नौनिहाल की नजर कमजोर हो जाए और किशोरावस्था में ही मोटा चश्मा लगाना पड़े। तीन से चार साल उम्र तक बच्चों की आंखों का विकास होता है। इस दौरान यदि बच्चे मोबाइल स्क्रीन को देर तक देखते हैं तो उनकी नजरें कमजोर हो जाती हैं। इससे उनकी पास की नजर कमजोर हो जाती है, जिसे ठीक नहीं किया जा सकता।
ऐसे बच्चों को चश्मा लगाने की सलाह दी जाती है। कई बार बच्चे चश्मा लगाने में लापरवाही करते हैं। नतीजतन 18 की उम्र से पहले उनकी आंखें इतनी खराब हो जाती हैं, जिसे ठीक करना संभव नहीं रहता।
गुरु नानक आई केयर सेंटर के 37वें स्थापना दिवस के अवसर पर केंद्र की निदेशक डॉ. कीर्ति सिंह ने बताया कि छोटे बच्चों को मोबाइल नहीं देना चाहिए। स्कूल स्क्रीनिंग प्रोग्राम के दौरान बच्चों में मायोपिया के मामले दिख रहे हैं। इन्हें चश्मा लगाने की सलाह दी जाती है, लेकिन ये चश्मा नहीं लगाते जिस कारण आगे चल कर नजरें और खराब हो जाती हैं।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के बाद इसकी संख्या और बढ़ी है। हम बच्चों को सलाह देते हैं कि ऑनलाइन कक्षा लेने के दौरान आंखों को बीच-बीच में आराम दें। पानी पीते रहें। वहीं युवाओं की ड्राईनेस की शिकायत मिल रही है।