हींग और केसर की खेती से बदलेगी हिमाचल के किसानों की तकदीर

हींग और केसर की खेती से बदलेगी हिमाचल के किसानों की तकदीर
यंगवार्ता न्यूज़ - चम्बा  02-07-2021
 
हिमाचल प्रदेश के चंबा, कुल्लू, मंडी और किन्नौर में केसर की खेती किसानों की तकदीर बदलेगी। चार जिलों की 25 कनाल भूमि पर 35 से 49 क्विंटल केसर बीज बोया जाएगा। भरमौर, तीसा, सलूणी में छह कनाल भूमि के लिए आठ से नौ क्विंटल केसर का बीज किसानों को दिया जाएगा।
 
दरअसल समुद्र तल से 1500 से लेकर 2500 मीटर की ऊंचाई पर केसर की खेती होती है। केसर के बीज की रोपाई के बाद इसे सिंचाई सुविधा मिल जाए तो बढ़िया फसल होती है। चंबा के भरमौर, सलूणी और तीसा के ऊंचाई वाले क्षेत्रों को केसर की खेती के लिए चयनित किया गया है। भरमौर, सलूणी और तीसा में ट्रायल के तौर पर लगाई गई केसर की खेती में फ्लावरिंग हो गई है।
 
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद ( सीएसआईआर ) पालमपुर के वरिष्ठ विशेषज्ञ डॉ. राकेश राणा ने कहा कि चंबा, कुल्लू, मंडी और किन्नौर में केसर की खेती के लिए प्रदेश सरकार से एमओयू साइन किया है। चार जिलों में 25 कनाल भूमि में 35 से 40 क्विंटल केसर का बीज लगाया जाएगा। वहीं, निदेशक संजय कुमार ने कहा कि किसानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से ही केसर की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है
 
किसानों को जागरूक किया जा रहा है। नाचन और सराज के किसानों के खेतों में नकदी फसलों के साथ अब हींग और केसर भी लहलहाएंगे। आईएचबीटी पालमपुर के सौजन्य से किसानों की आर्थिकी मजबूत करने के लिए कृषि विभाग किसानों को हींग और केसर की खेती करने के लिए प्रेरित करेगा।
 
वर्ष 2019-20 में क्षेत्र में हींग और केसर का ट्रायल सफल होने के बाद अब पायलट प्रोजेक्ट के रूप में क्षेत्र में हींग और केसर की खेती करने की कृषि विभाग ने तैयारी कर ली है।
 
कृषि विषयवाद विशेषज्ञ धर्म चंद चौहान ने बताया कि 60 किसान केसर और 35 किसानों से विभाग आईएचबीटी के माध्यम से हींग और केसर की खेती करवाई जाएगी।
 
नाचन और सराज में अब चैलचौक, मोवीसेरी, खनियारी, ओहन, बडींन, तांदी, कुंसोट जेल करनाला, गेर, भलोठी, बाग, रहिधार, ओहन, तांदी, कटयांदी, शरण, धलवास, कुराहनी, खनियारी, बह मझोठी, चकदयाला, करसला, डूंगाधार, शमनोश, बानीसेरी, शांगरी, स्यांज , मुराटन, पनगलियुर, ग्वाड़, काफलु, तरौर, सेगली काढ़ि, बाग, बालहड़ी बुरहटा, मझोठी, सुनाथर, टीली काढ़ि शीलह और शकरैणी में हींग और केसर की खेती की जाएगी।
 
आईएचबीटी पालमपुर के वैज्ञानिक डॉ. रमेश चंद ने बताया कि नाचन, सराज में हींग और केसर का ट्रायल सफल होने के बाद अब पूरे ब्लॉक में किसानों से इसकी खेती करवाई जाएगी। क्षेत्र के ठंडे और गर्म क्षेत्र खेती के लिए चिह्नित किए जा चुके हैं। नाचन एवं सराज के करीब 100 किसान हींग और केसर की खेती करेंगे।