हिमाचल के हजारों किसानों को अब एक ही छत के नीचे मिलेगी जड़ी-बूटियां बेचने की सुविधा
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 16-04-2021
हिमाचल प्रदेश के हजारों किसानों को अब एक ही छत के नीचे जड़ी-बूटियां बेचने की सुविधा मिलेगी। राज्य सरकार सोलन जिले के नालागढ़ में प्रदेश की पहली जड़ी-बूटी मंडी तैयार कर रही है।
फार्मा उद्योगों में हर साल दवा उत्पादन में जड़ी-बूटियां उपयोग होती हैं। इनके विपणन की कोई ठोस व्यवस्था अभी तक प्रदेश में नहीं थी। एक माह के भीतर इस मंडी में किसानों को विपणन सुविधा मिलने लगेगी।
प्रदेश के किसानों को जड़ी-बूटियां बेचने के लिए देश के खुले बाजार में भटकना पड़ता था। प्रदेश के कई किसान जड़ी-बूटियों का उत्पादन करते हैं, लेकिन उनको विपणन के लिए बिचौलियों की मदद लेनी पड़ती थी।
किसानों को इन जड़ी-बूटियों का अपेक्षाकृत कम दाम मिलता रहा है और बिचौलियों की जेबें भरी जाती थीं। प्रदेश में लंबे समय से किसान फल और सब्जी मंडियों की तर्ज पर जड़ी-बूटियों की मंडी विकसित करने की मांग सरकार से करते रहे हैं।
अब सरकार ने जिला सोलन के नालागढ़ बैनलगी में जड़ी-बूटियों की बिक्री के लिए मंडी विकसित करने का काम शुरू कर दिया है। प्रदेश की पहली जड़ी-बूटी मंडी औद्योगिक क्षेत्रों नालागढ़, बद्दी बरोटीवाला के समीप विकसित हो रही है।
प्रदेश में पहली जड़ी-बूटी मंडी जिला सोलन के बैनलगी में 50 लाख की लागत से तैयार की जा रही है। इस मंडी में गेस्ट हाउस, नीलामी यार्ड, दुकानें तैयार की जा रही हैं।
प्रदेश की पहली जड़ी बूटी मंडी किसानों के लिए जिला सोलन के बैनलगी में एक माह के भीतर तैयार हो जाएगी। इस मंडी को विकसित करने के लिए करीब पचास लाख रुपये खर्च हो रहे हैं। - नरेश ठाकुर, प्रबंध निदेशक, हिमाचल मार्केटिंग बोर्ड
हिमालयी क्षेत्र में लगभग 1748 जड़ी-बूटियों का खजाना है। इसमें पेड़ प्रजाति की 339, शाखा प्रजाति की 1029 और 51 टेरिटो थाईट्स प्रजातियां शामिल हैं। हिमालयी राज्य हिमाचल की बात करें तो यहां जड़ी-बूटियों की करीब 645 प्रजातियां हैं।
इन प्रजातियों में पतीश, रतनजोत, हाथ पंजा, सर्पगंधा, चिरायता, कुठ, टिम्मर, कडू, चौरा, रखाल, वन हल्दी, वन ककड़ी, शीरा काकोली, निहाणी, निहाणू, धूप, लकड़ चूची, नाग छतरी, कशमल आदि को विलुप्त श्रेणी में रखा है।
क्षेत्र में किसान सफेद मुसली, गिलोय, अश्वगंधा, ब्रह्मी, अशोक, नीम, सहजन, तुलसी, लेमन ग्रास, सब्जा, दालचीनी, एलोवेरा, रत्नजोत, कड़ी पत्ता, आंवला, हरड़ और कचनार आदि की पैदावार प्रमुखता से कर रहे हैं।