कांवड़ यात्रा बंद होने के बाद भी गंगाजल लेने पहुंच रहें कांवड़िये, आज 100 से अधिक यात्री लौटाए वापस
यंगवार्ता न्यूज़ - देहरादून 29-07-2021
कांवड़ यात्रा प्रतिबंधित होने के बावजूद भी गंगाजल लेने के लिए यात्रियों का आना लगातार जारी है। गुरुवार को सुबह 10 बजे तक 100 से अधिक कांवड़ लेने के लिए आए लोगों व अन्य यात्रियों को वापस लौटाया गया। इन यात्रियों को जीआरपी ने शटल बसों व वापसी की ट्रेनों से टिकट कराने के बाद वापस भेजा।
रेलवे स्टेशन के निकास द्वार पर तैनात की गई पुलिस टीमें यात्रियों की आरटीपीसीआर रिपोर्ट देखने के बाद ही उन्हें स्टेशन से बाहर भेज रही हैं। जिन यात्रियों के पास रिपोर्ट नहीं है। उनकी जांच भी करवाई जा रही है। वहीं जो यात्री जांच करवाने के इनकार कर रहे हैं। उनकों वापस भेजा जा रहा है।
कांवड़ियों की पहचान ग्रुप के माध्यम से कराई जा रही है। कांवड़ लेने के लिए युवा ग्रुपों में आते हैं, ऐसे में जिस भी ग्रुप में चार से पांच युवा दिख रहे हैं। उनसे भी पूछताछ की जा रही है। वहीं देहरादून, ऋषिकेश से आने वाले यात्रियों की स्थानीय आईडी देखकर स्टेशन परिसर से बाहर जाने दिया जा रहा है।
एएसपी जीआरपी मनोज कात्याल ने बताया कि स्टेशन के सभी निकास द्वारों पर अतिरिक्त फोर्स की तैनाती की गई है। कांवड़ यात्रा रद्द होने से व्यापारी ही नहीं, बल्कि कांवड़ बनाने वाले कारीगरों के रोजगार पर भी चोट पड़ी है।
ज्वालापुर क्षेत्र का एक बड़ा तबका कांवड़ बनाता है। कांवड़ यात्रा लगातार दूसरे साल रद्द होने से कारीगरों को परिवार का पालन पोषण करने के लिए मजदूरी का सहारा लेना पड़ रहा है।
उन्होंने सरकार से आर्थिक सहायता की गुहार लगाई है। ज्वालापुर क्षेत्र के लोधा मंडी, लाल मंदिर, कैथवाड़ा, बकरा मार्केट, मैदानियान आदि क्षेत्र के सौ से अधिक परिवार कांवड़ बनाने का काम करते रहे हैं। श्रावण माह के साथ ही सर्दी के मौसम में पड़ने वाली महाशिवरात्रि पर भी कांवड़ बनाने का काम किया जाता है।
कांवड़ बनाने वाले मेहराज, कालू, पीरू, सोनू, शाहिद आदि ने बताया कि सर्दी और श्रावण माह में चलने वाली कांवड़ से सालभर की रोजी रोटी की व्यवस्था हो जाती थी। वह श्रावण माह के लिए शिवभक्तों की कांवड़ बनाने के लिए ही चार से पांच माह पहले ही जुट जाते थे।
इसमें परिवार की महिलाएं, बच्चों समेत पूरे परिवार के लोगों काम मिल जाता था। इन लोगों का कहना है कि कोरोना काल में पहले से ही आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। ऐसे में रोजाना मजदूरी भी नहीं मिलने से परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है।