कहीं खामियां, तो कहीं मूलभूत सुविधाओं के अभाव में प्लस प्लस ग्रेड से चूका हिमाचल जानिए......
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 08-06-2021
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से जारी परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स ( पीजीआई ) 2019-20 में हिमाचल ने ग्रेड-1 तो हासिल किया है। लेकिन ग्रेड-1 के लेवल- 4 पर हिमाचल को आंका गया है। प्रदेश में पिछले एक अरसे से गुणात्मक शिक्षा पर बहुत ज्यादा काम हो रहा है।
हिमाचल ग्रेडिंग में पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों से काफी आगे निकल कर प्लस प्लस ग्रेडिंग की श्रेणी में आ सकता था, लेकिन कहीं पर खामियां थी तो कहीं पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव रहा। जिसकी वजह से हिमाचल ग्रेडिंग में पिछड़ा है। केंद्र ने रिपोर्ट तैयार करने के लिए 5 श्रेणियों के 70 मानकों के आधार पर तैयार किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल में बच्चों को मिड-डे मील, किताबें, वर्दी सभी तय समय पर मिल रही हैं।
पढ़ाई के लिए स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं भी हैं। खेल के मैदान न होना यह खामी है। शिक्षकों की कमी, मुख्य अध्यापक, प्रधानाचार्य के पद खाली, शिक्षा उपनिदेशक, निदेशक से लेकर सचिव स्तर के कार्यकाल कम होना, समग्र शिक्षा अभियान को केंद्रीय शेयर मिलने के बाद भी राज्य वित्त विभाग की ओर से प्रदेश के शेयर जारी करने में देरी जैसे कारण प्रशासनिक खामियां है।
हिमाचल को यदि पड़ोसी राज्यों से शिक्षा में आगे निकलना है तो इन सभी बिंदुओं पर ध्यान देना होगा। राज्य सरकार द्वारा तैयार की जाने वाली यू डाइस रिपोर्ट में भी यह खामियां सामने आई थी। पीजीआई रिपोर्ट तैयार करते वक्त केंद्र यू-डायस रिपोर्ट को भी आधार बनाता है। इस रिपोर्ट में प्रदेश के 1632 प्राइमरी और मिडिल स्कूल एक-एक शिक्षक के सहारे चल रहे थे। पहली से पांचवीं कक्षा के स्कूलों के हालात सबसे खराब पाए गए थे।
1543 प्राइमरी स्कूलों में सिर्फ एक-एक शिक्षक पांच कक्षाओं को पढ़ा रहे हैं। 6844 प्राइमरी स्कूलों में दो, 1622 में तीन और 544 स्कूलों में चार से छह शिक्षक शिक्षा दे रहे हैं। 89 मिडिल और दो सेकेंडरी स्कूल भी एक-एक शिक्षक के सहारे थे। हालांकि अब इसमें शिक्षकों की नियुक्तियां की जा चुकी है। छठी से आठवीं कक्षा के 363 मिडिल स्कूलों में दो-दो शिक्षक, 703 स्कूलों में तीन-तीन शिक्षक हैं। सचिव शिक्षा राजीव शर्मा का कहना है गुणात्मक शिक्षा पर पूरा फोकस किया जा रहा है।
हिमाचल को ग्रेड-1 मिला है। सुधारों के नतीजे आने वाले समय में देखने को मिलेंगे। प्रदेश में 15,329 प्राइमरी स्कूल है। इसमें 13.68 फीसद स्कूलों में ही इंटरनेट सुविधा हैं। इसके अलावा बाउंड्री वाल 65.54, पीने का पानी 99.90, छात्रों के लिए शौचालय 97.8, छात्रा शौचालय 98.26, बिजली 95.67, पुस्तकालय 87.36, खेल मैदान 74.62, विशेषज्ञ बच्चों के लिए रैंप 80.18, मेडिकल चैकअप की सुविधा 95.66 कंप्यूटर 19.60 फीसद में है।