यंगवार्ता न्यूज़ - केलांग 15-02-2022
लाहौल घाटी में गत 21 जनवरी के दिन चंद्रा घाटी के नौ देवी देवता अपने वास स्थान से स्वर्ग प्रवास पर चले गए थे , जिसे गुमाहति कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इन देवी-देवताओं की अनुपस्थिति में प्रेत आत्माओं एवं बुरी आत्माओं का डर बना रहता है। इसलिए बड़े बुजुर्ग बच्चों व महिलाओं एवं आमजनों को बाहर शोरगुल ना करने की हिदायत देते हैं। ऐसी मान्यता है कि ये नौ देवी-देवता का परिवार अपने मुख्य राजा घेपन के साथ भोट देश से आ रहे थे बारालाचा के समीप भारी बर्फबारी के कारण देवी बोटी एवं ग्युंगडुल मरज्ञेद देवी की मां कहीं बर्फ के दरारों में फंस कर रह गई थी।
काफी दूरी तय करने तक किसी को भी पता ही नहीं चला कि इनकी मां पीछे रह गई है। काफी देर बाद ध्यान में आया तो देखा कि मां तो साथ में नहीं है तो वो जरूर किसी मुसीबत में फंसी होगी। दोनों बहनें देवी बोटी एवं ग्युंगडुल अपनी मां को खोजने वापस पीछे जाकर देखते हैं तो मां बर्फ की दरारों में बुरी तरह फंसी हुई थी। दोनों बहनों ने मिलकर मां को बर्फ की दरारों से बाहर निकाला अब मां को उठाकर आगे चलने की नौबत आई तो दोनों बहनों के बीच बात हुई कि मां को पीठ दिखाना तो अच्छी बात नहीं होगी चलो दोनों बहनें मां की ओर मुंह करके उठाएंगे और आगे वाली को कदम पीछे की ओर बढ़ाते हुए चलना पड़ेगा।
ऐसा आपस में फैसला करके चलने लगे तो थोड़ी दूरी तय करने पर दोनों बहनों की हंसी छूट गई इस पर उन की मां ने उन दोनों को खुश होकर ये दो वरदान दिये पहला यह कि दुनिया में चाहे दुखों का पहाड़ ही क्यों न टूट जाए लेकिन इंसान की हंसी छूटनी चाहिए , दूसरा यह कि हर वर्ष नौ देवी.देवताओं का मंग आल्ची यानि कि स्वर्ग प्रवास से वापसी पर स्वागत सत्कार सबसे पहले देवी बोटी का ही होगा उसके बाद अन्य देवी.देवताओं का बारी बारी से होता है। ग्युंगडुल देवी को यह वरदान मिला कि देवी का रथ हर दो वर्ष में सजेगा और अपने परिसर में जहां आदर सत्कार होगा वहां खुशी खुशी जा सकेगी।
चंद्रा घाटी के स्थानीय निवासी मनोज और रणधीर ने बताया कि घाटी में जगदम लमोई का सबसे अधिक महत्व है और राजा घेपन भी अपने गुर के माध्यम से 23 फरवरी को साल भर की भविष्यवाणी करेंगे जिससे लाहौल घाटी के लोगों को साल में होने वाली सभी घटनाओं के बारे में पता चल जाता है।