तोहफा : सरकार 31 मार्च को बाहर करेगी 1600 आउटसोर्स कर्मी , कर्मचारियों में मचा हड़कंप
हिमाचल प्रदेश में 1600 से ज्यादा आउटसोर्स कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा चुका है। सैकड़ों कर्मचारी 31 मार्च को नौकरी से हटा दिए जाएंगे, क्योंकि इनकी सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों का सरकार के साथ एग्रीमेंट खत्म होने वाला है। इससे स्टेट के 25 हजार से ज्यादा आउटसोर्स कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 27-03-2023
हिमाचल प्रदेश में 1600 से ज्यादा आउटसोर्स कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा चुका है। सैकड़ों कर्मचारी 31 मार्च को नौकरी से हटा दिए जाएंगे, क्योंकि इनकी सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों का सरकार के साथ एग्रीमेंट खत्म होने वाला है। इससे स्टेट के 25 हजार से ज्यादा आउटसोर्स कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है। प्रदेश के विभिन्न विभागों में बड़ी संख्या में ऐसे आउटसोर्स कर्मचारी हैं, जिन्हें दो से तीन महीने से मानदेय नहीं दिया गया।
पहले ही नाममात्र मानदेय पर काम कर रहे इन कर्मचारियों को परिवार के पालन-पोषण, बच्चों की पढ़ाई और बूढ़े मां-बाप की दवाइयां इत्यादि का खर्च पूरा करने में कठिनाई हो रही है, अब इन्हें मानदेय भी नहीं दिया जा रहा। गलती पूर्व की सरकारों की है, जिन्होंने आउटसोर्स पॉलिसी को शुरू किया और विभिन्न विभागों में सेवाएं दे रहे 30 से 35 हजार आउटसोर्स कर्मचारियों का शोषण किया। सूबे में आउटसोर्स कर्मी 15-18 सालों से विभिन्न विभागों में सेवाएं दे रहे हैं, फिर भी इनका भविष्य सुरक्षित नहीं है।
सरकार जब चाहे इन्हें बाहर कर देती है और जरूरत पड़ने पर अंदर किया जाता है। दोष पूर्व की सरकारों पर मड़ दिया जाता है। विभिन्न विभागों में कई आउटसोर्स कर्मी ऐसे भी हैं जिनका एग्रीमेंट खत्म हो गया है और सरकार से एक्सटेंशन मिलने के इंतजार में हैं। स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना का हवाला देते हुए लगभग 1700 कर्मचारियों की सेवाओं को 31 मार्च तक का एक्सटेंशन दिया है। यानी चार दिन बाद इनकी नौकरी जाना भी लगभग तय है। इसी तरह अन्य विभागों में सैकड़ों आउटसोर्स कर्मियों की नौकरी पर तलवार लटक गई है। इनकी सर्विस प्रोवाइडर ज्यादातर कंपनियां तो इनका शोषण करती रही हैं।
साथ में राज्य की सरकारों ने भी इनका सत्ता हथियाने के लिए इस्तेमाल किया है। साल 2012-17 के बीच वीरभद्र सरकार 5 साल तक इनके लिए पॉलिसी बनाने का भरोसा देती रही और शिमला के पीटरह़ॉफ में बड़ा समारोह किया। तब इन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वीरभद्र सिंह को चांदी का मुकुट भेंट किया, लेकिन पॉलिसी नहीं बनी। पूर्व जयराम सरकार में भी 5 साल तक इनके लिए पॉलिसी बनाने का भरोसा दिया जाता रहा। चुनावी बेला में पॉलिसी की घोषणा भी कर दी गई, लेकिन उसे अमलीजामा नहीं पहनाया गया। यही वजह है कि 15 से 18 साल की नौकरी के बाद आउटसोर्स कर्मचारियों को नौकरी से बाहर किया जा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग की आउटोसोर्स कर्मचारी यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष कमलजीत डोगरा ने बताया कि उनके आगे खाई और पीछे कुआं वाली स्थिति हो गई है। अधिकतर कर्मी जीवन के कीमती 15 से 18 साल सरकारी विभागों में सेवाएं करते हुए दे चुके हैं। अब उन्हें बाहर करना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने बताया कि पूर्व की सरकारें बार-बार पॉलिसी के नाम पर उन्हें ठगती रही है। जिस काम के लिए सरकारी कर्मचारियों को 50 हजार से एक लाख रुपए सैलरी दी जाती है, उसी काम को आउटसोर्स कर्मी 10 से 20 हजार के मानदेय कर रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि उनकी सेवाओं को देखते हुए जल्द पॉलिसी बनाकर भविष्य को सुरक्षित किया जाए।